डेली संवाद, जालंधर
जालंधर में करोड़ों रुपए ठगी का मामले का खुलासा हुआ है। इसमें जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन के अधिकारियों और कुछ नेताओं की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। करोड़ों रुपए के एनआरआई महिला का प्लाट हड़पने की बड़े स्तर पर साजिश रची गई। साजिश कर प्लाट हड़प भी लिया गया, लेकिन समय रहते एनआरआई महिला को इसकी भनक लग गई।
पुलिस भी इतनी कृपालु हुई की एनआरआई महिला की शिकायत पर फ्राड करने वालों से समझौता करवा दिया। जिन लोगों के नाम जाली रजिस्ट्री थी, पुलिस के अफसर ने उन्हें बुलाकर उक्त प्लाट की रजिस्ट्री एनआरआई महिला के नाम दोबारा करवा दिया, लेकिन इस पूरे फ्राड में शामिल लोगों को आज तक गिरफ्तार नहीं किया। जिससे पुलिस की भूमिका पर सबसे बड़ा सवालिया निशान लगता है।
कल डेली संवाद ने कहा था कि इस स्कैंडल का पर्दाफाश किया जाएगा। जिससे अब इस पूरे स्कैंडल से परदा उठाया जा रहा है। इसमें अपरोक्ष रूप से शहर के कुछ नेता व बड़े पुलिस अधिकारी की भूमिका संदिग्ध है। मामला कुछ इस तरह है कि दिल्ली के निवासी प्रबोध चंदर शर्मा ने जालंधर के ग्रोवर कालोनी 120 फुटी रोड बस्ती दानिशमंदा में प्लाट संख्या 66-67 रकबा 34 मरला की खरीद की थी।
पति की मौत के बाद ग्रोवर कालोनी की 34 मरला जमीन चंद्रकांता के नाम
पुलिस कमिश्नर को दिए शिकायत में इंग्लैंड में रहती एनआरआई चंद्रकांता शर्मा ने कहा कि साल 2002 में उनके पति प्रबोध चंदर शर्मा का जालंधर के टैगोर अस्पताल में निधन हो गया था। पति की मौत के बाद ग्रोवर कालोनी की 34 मरला जमीन चंद्रकांता के नाम हो गई। जिसका इंतकाल भी चढ़ गया।
चंद्रकांता के मुताबिक अगस्त 2020 में उन्हें पता चला कि जाली दस्तावेजों के सहारे किसी ने उनके प्लाट की रजिस्ट्री करवा ली है। चंद्रकांता ने कहा कि उनके पति के दोस्त जोगिंदर पाल वर्मा ने उनके साथ विश्वासघात किया। जोगिंदर पाल वर्मा ने अपने बेटे आशू उर्फ आनंद वर्मा के साथ मिलकर गहरी साजिश रची।
सब रजिस्ट्रार और इलाके का पटवारी भी मिला हुआ
चंद्रकांता ने शिकायत में कहा कि आनंद वर्मा ने कांग्रेस की एक नेत्री के जेठ के ड्राइवर को उनके मृतक पति के नाम पर जाली आधार कार्ड बनाकर पूरी प्रापर्टी की पावर आफ अटार्नी अपने मैनेजर दीपक रज्जाक के नाम पर करवा दिया। इसमें सब रजिस्ट्रार और इलाके का पटवारी भी मिला हुआ है। यही नहीं इलाके का लंबरदार भी इसमें मिला हुआ है।
यही नहीं, जब आनंद वर्मा औऱ दीपक रज्जाक ने उनके प्लाट की रजिस्ट्री विजय कुमार के नाम कर दी। हैरानी की बात तो यह है कि जब इस प्रापर्टी पर इंतकाल होकर चंद्राकांता के नाम पर दस्तावेजों में चढ़ गई तो पटवारी ने किस तरह फर्द निकलवाकर इसकी रजिस्ट्री करवाई। यही नहीं पटवारी ने इसका इंतकाल विजय कुमार ने नाम चढ़ा दिया।
इस फर्जीवाड़ा में चमनलाल, दलजीत सिंह, रोहित, बलदेव सिंह की भी मिलीभगत ऱही। पुलिस ने बड़ी हैरानीजनक तरीके से इस मामले को पटाक्षेप कर दिया। जांच अधिकारी ने एनआरआई महिला को कोर्ट कचेहरी की बात कह कर मामले को रफा-दफा करवा दिया। इस दौरान जांच अधिकारी ने फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों को अभयदान देते हुए उक्त जमीन का फिर से एनआरआई महिला के नाम पर रजिस्ट्री करवा दिया।
जालसाजों से तीसरी पार्टी ने अपना 20 लाख रुपए वापस मांगा
मामले में टवीस्ट उस वक्त आया, जब इस जालसाजों से तीसरी पार्टी ने अपना 20 लाख रुपए वापस मांगा। दीपक रज्जाक ने इस प्रापर्टी का सौदा तीन अन्य लोगों से कर लिया था। इनसे अलग-अलग 20 लाख रुपए भी दीपक रज्जाक ने लिया। आशा, वीना और हनीश कुमार से दीपक रज्जाक ने 33 मरले प्लाट का बयाना 20 लाख रुपए लिए। आशा, वीना और हनीश कुमार को जब पता चला कि उनके साथ फ्राड हुआ है, तो उन लोगों ने दीपक रज्जाक ने अपने 20 लाख रुपए वापस मांगे। लेकिन रज्जाक महज 6 लाख देने पर राजी हुआ। जिससे आशा, वीना और हनीश ने इस मामले की फिर से पुलिस कमिश्नर से शिकायत कर दी।
सबसे बड़ा ट्वीस्ट तो तब आया जब आनंद वर्मा के मैनेजर दीपक रज्जाक ने इस मामले को लेकर कोर्ट पहुंच गया। कोर्ट में रज्जाक ने कहा कि उसके साथ फ्राड हुआ है। हाईकोर्ट रज्जाक की याचिका को खारिज करते हुए इन सभी जालसाजों के खिलाफ जांच कर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। इस पूरे मामले में विजय कुमार ने डेली संवाद से बात करते हुए कहा कि उनके साथ खुद फ्राड हुआ है। उन्हें कांग्रेसी नेत्री के जेठ के ड्राइवर ने ठगा है। वहीं, इस मामले में विजय कुमार औऱ दीपक रज्जाक का पक्ष अभी सामने नहीं आया है।
सबसे बड़ा सवाल
- इस पूरे खेल में सब रजिस्ट्रार, पटवारी को क्यों बचाया जा रहा है?
- क्या जांच अधिकारी को पावर है कि जालसाजों से जमीन वापस कर मुकदमा ही खत्म कर दे?
- मामले में कांग्रेस नेत्री के जेठ के ड्राइवर को क्यों नहीं पकड़ा गया?
- आनंद वर्मा, दीपक रज्जाक और अन्य के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं हुई?
पढ़ें कोर्ट का आदेश
पढ़ें चंद्रकांता की शिकायत






















