डेली संवाद, जालंधर
जालंधर के महाठगों को लेकर डेली संवाद (www.dailysamvad.com) पर खुलासे होने के बाद जालंधर पुलिस ने आखिरकार रायल पैलेस के मालिक आशू उर्फ आनंद वर्मा समेत 6 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। इसमें कांग्रेस पार्टी की एक सीनियर महिला नेता के जेठ के ड्राइवर का नाम भी शामिल है, जो मृतक के नाम पर फर्जी आधार कार्ड बनाकर रायल पैलेस के मालिक के मैनेजर के नाम सारी प्रापर्टी रजिस्ट्री कर दी थी।
यह है मामला
पुलिस कमिश्नर को दिए शिकायत में इंग्लैंड में रहती एनआरआई चंद्रकांता शर्मा ने कहा कि साल 2002 में उनके पति प्रबोध चंदर शर्मा का जालंधर के टैगोर अस्पताल में निधन हो गया था। पति की मौत के बाद ग्रोवर कालोनी की 34 मरला जमीन चंद्रकांता के नाम हो गई। जिसका इंतकाल भी चढ़ गया। चंद्रकांता के मुताबिक अगस्त 2020 में उन्हें पता चला कि जाली दस्तावेजों के सहारे जोगिंदर पाल वर्मा के बेटे आशू उर्फ आनंद वर्मा व अन्य लोगों ने उनकी प्रापर्टी अपने नाम करवा कर बेच दी है।
चंद्रकांता ने शिकायत में कहा कि आनंद वर्मा ने कांग्रेस की एक नेत्री के जेठ के ड्राइवर को उनके मृतक पति के नाम पर जाली आधार कार्ड बनाकर पूरी प्रापर्टी की पावर आफ अटार्नी अपने मैनेजर दीपक रज्जाक के नाम पर करवा दिया। इसमें सब रजिस्ट्रार और इलाके का पटवारी भी मिला हुआ है। यही नहीं इलाके का लंबरदार भी इसमें मिला हुआ है। इस फर्जीवाड़ा में चमनलाल, दलजीत सिंह, रोहित, बलदेव सिंह की भी मिलीभगत ऱही।
पुलिस ने पहले मामले को दबा दिया था
पुलिस ने बड़ी हैरानीजनक तरीके से इस मामले को पटाक्षेप कर दिया। जांच अधिकारी ने एनआरआई महिला को कोर्ट कचेहरी की बात कह कर मामले को रफा-दफा करवा दिया। इस दौरान जांच अधिकारी ने फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों को अभयदान देते हुए उक्त जमीन का फिर से एनआरआई महिला के नाम पर रजिस्ट्री करवा दिया।
इन जालसाजों से तीसरी पार्टी ने अपना 20 लाख रुपए वापस मांगा। दीपक रज्जाक ने इस प्रापर्टी का सौदा तीन अन्य लोगों से कर लिया था। इनसे अलग-अलग 20 लाख रुपए भी दीपक रज्जाक ने लिया। आशा, वीना और हनीश कुमार से दीपक रज्जाक ने 33 मरले प्लाट का बयाना 20 लाख रुपए लिए। आशा, वीना और हनीश कुमार को जब पता चला कि उनके साथ फ्राड हुआ है, तो उन लोगों ने दीपक रज्जाक ने अपने 20 लाख रुपए वापस मांगे। लेकिन रज्जाक महज 6 लाख देने पर राजी हुआ। जिससे आशा, वीना और हनीश ने इस मामले की फिर से पुलिस कमिश्नर से शिकायत कर दी।
सबसे बड़ा सवाल
- इस पूरे खेल में सब रजिस्ट्रार, पटवारी को क्यों बचाया जा रहा है?
- क्या जांच अधिकारी को पावर है कि जालसाजों से जमीन वापस कर मुकदमा ही खत्म कर दे?
- जिस पुलिस अधिकारी ने पहले मामला दबाया, क्या उसके खिलाफ कार्ऱवाई होगी?