डेली संवाद, जालंधर
जालंधर कमिशनरी पुलिस का कमाल देखिए, पिछले रविवार को जालंधर के उग्गी के रहने वाले एक जालसाज पुरषोत्तम लाल उर्फ विक्की को हिरासत में लिया, उसके खिलाफ कैंप थाना में जालसाजी का मामला दर्ज था। सूत्र बताते हैं कि भार्गव कैंप पुलिस ने मामले में पुरषोत्तम लाल की गिरफ्तारी ही नहीं डाली और अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकते हुए मक्खु पुलिस के हवाले कर दिया।
मक्खू पुलिस स्टेशन में भी पुरषोत्तम लाल के खिलाफ जालसाजी का मामला था, जिसमें उसकी गिरफ्तारी डाली गयी और उसकी जमानत हो गयी। अब पुरषोत्तम लाल जमानत लेने के बाद फरार हो गया और भार्गव कैंप पुलिस ने अधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर खुलेआम पुरषोत्तम लाल की मदद कर दी।
उग्गी के पुरषोत्तम पर मेहरबानी
जानकारी के मुताबिक इकबाल सिंह सरोया वरियाणा के रहने वाले हैं, जिनके साथ उग्गी के रहने वाले पुरषोत्तम लाल ने ठगी मारी थी। भार्गव कैंप पुलिस ने पुरषोत्तम लाल विक्की, हीरा सिंह व राजपाल रंजोध के खिलाफ एफआईआर नंबर 54 दर्ज करवा दिया था। इस मामले में कैंप पुलिस के हाथ पुरषोत्तम लाल लग गया। रविवार रात भर उसको थाने में रखा गया। उसकी गिरफ्तारी ही नहीं डाली गयी हालांकि इकबाल सिंह सरोया ने थानेदार से गुहार लगाई लेकिन किसी ने नहीं सुनी।
अगले दिन पुलिस का दिल पुरषोत्तम लाल पर आ गया। पुरषोत्तम के खिलाफ मक्खू पुलिस थाना में भी मामला दर्ज था। सूत्रों के मुताबिक पुरषोत्तम लाल को भार्गव कैंप की पुलिस ने बिना अधिकारियों को जानकारी दिये चुपचाप मक्खु पुलिस को सौंप दिया। मक्खू पुलिस ने अदालत में पेश किया, पुरषोत्तम लाल को जेल भेजा गया। इकबाल सिंह की तरफ से कई बार कहा गया कि पुरषोत्तम लाल को प्रोडक्शन वारंट पर तो ले आओ, एसीपी पलविंदर सिंह से लेकर एडीसीपी अधिकारियों तक को गुहार लगाई गई लेकिन पुरषोत्तम लाल को भार्गव कैंप की पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर नहीं लेकर आई।
पुरषोत्तम ने जमानत ले ली
हालात देखिए पुरषोत्तम लाल ने जमानत ली और वहां से चुपचाप निकल गया। इकबाल सिंह सरोया हाथ मलते रह गए और जालंधर कमिशनरेट पुलिस ने पुरषोत्तम लाल पर खासी मेहरबानी की। एसीपी पलविंदर सिंह का कहना है कि उनहोंने भार्गव कैंप पुलिस को कहा था कि प्रोडक्शन वारंट पर लेकर आओ लेकिन नहीं लेकर आए। उनको इस मामले की पूर्व जानकारी नहीं थी।
पुरषोत्तम लाल को भार्गव कैंप पुलिस ने क्यों गिरफ्तारी डाले बिना मक्खू पुलिस को सौंपा ? इसकी जांच बारीकी से हो गयी तो कई पुलिस मुलाजिमों की वर्दी के साथ साथ नौकरी जानी तय है। पुरषोत्तम लाल को रात थाने में रखकर क्यों गिरफ्तारी नहीं डाली गयी ? क्यों एसीपी से लेकर एडीसीपी को झूठ बोला गया ?