डेली संवाद, जालंधर
जालंधर में अवैध निर्माण को किस कदर बढ़ावा दिया जा रहा है, इसका अगर प्रत्यक्ष नमूना देखना है, तो चले आइए वेस्ट हलके में पड़ते बस्ती नौ में। इंस्पैक्टरों, एटीपी, एमटीपी और एसटीपी की भारी-भरकम फौज सिर्फ AC वाले दफ्तरों में मौज कर रही है, शहर में एक के बाद एक कामर्शियल माल अवैध तरीके से बनते जा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि जो पैसा नगर निगम के खजाने में जमा होना चाहिए, उसे कौन खा रहा है? इस सवाल पर मेयर जगदीश राजा मौन हैं, तो निगम कमिश्नर करुणेश शर्मा को कोई शर्म भी नहीं आती।
चार महीने पहले अखबार में छपी खबर
एसटीपी, एमटीपी, एटीपी और इंस्पैक्टरों की फौज ने शहर में अवैध निर्माण करने को लेकर उन दलालों को ठेका दे दिया है, जो कभी प्रापर्टी डीलिंग का कारोबार करते थे, या फिर उन आर्किटैक्ट के दफ्तरों में अवैध कमाई का नोट गिना जाता है, जो अफसरों के काफी करीब होते हैं। एक तरफ से नगर निगम का बिल्डिंग ब्रांच इस वक्त न तो मेयर चला रहे हैं और न ही कमिश्नर, बल्कि दलाल टाइप के आर्किटैक्ट और कुछ प्रापर्टी डीलर।
जोनल दफ्तर के चंद कदम दूर अवैध निर्माण
नगर निगम के जोनल दफ्तर के चंद कदम दूर बस्ती नौ से बबरीक चौक की तरफ जाती रोड पर निजातम नगर गली नम्बर 7 के बाहर नारायण नगर के एक मकान को तोड़ कर हाल बनाया गया फिर बाहर टू साइड ओपन प्लाट में दुकाने बनाई गई और दोनों को बड़ी सफाई के साथ आपस मे जोड़ कर मल्टी स्टोरी माल का रूप दिया जा रहा है जिसके 2 फ्लोर तैयार हो चुके है। हैरानी की बात तो यह है कि इस अवैध निर्माण की शिकायत के बाद अप्रैल में अखबारों में खबरें भी खूब छपी थी। तब इस निर्माण को रोकने का ड्रामा किया गया। अब यहां दो मंजिला कामर्शियल माल बनकर खड़ा हो गया है।
इलाके के लोगों की शिकायत पर डेली संवाद की टीम जब मौके पर पहुंची तो देखने को मिला कि जिस पॉइंट पर यह विशाल इमारत खड़ी की गई है वहां पहले से ही पार्किंग की समस्या है। इलाके के लोगों ने बताया कि पिछले चार महीने से लगातार शिकायतें की जा रही है, लेकिन इंस्पैक्टर से लेकर एटीपी, एमटीपी और एसटीपी व मेयर भी मौन हैं। इलाके के लोगों ने बताया कि एक कांग्रेसी युवा नेता की शह पर यह निर्माण हुआ है, जिसमें अफसरों ने लाखों रुपए रिश्वत के रूप में लिए हैं।
वहीं, इंस्पैक्टर दिनेश जोशी ने कहा कि ये इलाका किरदीप सिंह का है। लेकिन किरणदीप सिंह ने कहा कि ये इलाका दिनेश जोशी का है। वहीं, एटीपी विनोद कुमार ने कहा कि चेक करवाता हूं। एमटीपी मेहरबान सिंह ने फोन नहीं उठाया, जबकि एसटीपी परमपाल सिंह ने इलाके के एटीपी ही बता सकते हैं, कि अवैध निर्माण कैसे हुआ।