BIG NEWS: जालंधर में ‘ठेकेदार’ की करतूत, CM अमरिंदर सिंह के बोर्डों को उतार फेंका, पैसे लेकर कंपनियों के लगाए फ्लैक्स, मेयर रद्द कर चुके हैं ठेका, फिर भी ठेकेदार को है अफसरों की शह

Daily Samvad
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डेली संवाद, जालंधर
जालंधर नगर निगम में हावी विज्ञापन ठेकेदार और कुछ अधिकारियों ने मिलकर सूबे के मुखिया यानी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तस्वीरों वाली पंजाब सरकार के कार्यों को बखान करने को लेकर लगाए गए सभी होर्डिंग्स को उतार फेंके। यही नहीं, विज्ञापन ठेकेदार ने लाखों रुपए लेकर इन बोर्डों पर निजी कंपनियों के फ्लैक्स चिपका दिए।

पंजाब सरकार की तरफ से जालंधर शहर के अलग-अलग होर्डिंग्स पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तस्वीर के साथ उन विकास कार्यों का उल्लेख किया गया था, जिसे कैप्टन सरकार ने पिछले चार साल में किया है। इसका मकसद यह था कि पंजाब सरकार के कार्यों को पब्लिक जान सके और इसका फायदा कांग्रेस को चुनाव के समय हो सके। बावजूद इसके निजी कंपनियों से लाखों रुपए लेकर कैप्टन के होर्डिंग्स ही उतार दिए गए।

जालंधर कैंट हलके में लगे होर्डिंग्स को उतारे गए

नगर निगम से जुड़े सूत्र बताते हैं कि सबसे ज्यादा जालंधर कैंट हलके में लगे होर्डिंग्स को उतारे गए हैंं। कैप्टन और पंजाब सरकार की होर्डिंग्स की बजाए अब निजी कंपनियों और स्कूल कालेजों के होर्डिंग्स लग गए हैं। इन निजी कंपनियों और स्कूल कालेजों से लाखों रुपए विज्ञापन ठेकेदार ने वसूले हैं। सूत्र बता रहे हैं कि इस विज्ञापन ठेकेदार से नगर निगम के कुछ अधिकारी और कांग्रेस के कुछ कौंसलर की मिलीभगत है।

कौंसलरों का आरोप है कि ठेकेदार की पहुंच इतनी है कि पिछले चार साल में 10 करोड़ की चपत लगवाने पर भी सरकार इसके खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले पा रही है। गौरतलब है कि इस ठेकेदार के खिलाफ खुद कांग्रेस की कौंसलर और विज्ञापन एडहाक कमेटी की चेयरपर्सन नीरजा जैन ने कई बार शिकायत भी की। यहां तक कि निगम सदन में इसके खिलाफ सभी कौंसलरों ने प्रस्ताव भी पारित किया, लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हो सका।

भाजपा पार्षद का आरोप

भाजपा पार्षद वरेश मिंटू का आरोप है कि इसमें अफसरों की मिलीभगत है और नगर निगम को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया है। मिंटू ने माडल टाउन जोन में लगे यूनीपोल की कुछ लोकेशन भी जारी की है, जिसमें नियमों को तोड़ कर चौक और जंक्शन पर यूनीपोल लगाए गए हैं। चौराहों में यूनीपोल नहीं लग सकते।

यूनीपोल को गलत एंगल से लगाया गया है और यह सड़क पर आ रहे हैं, जिससे हादसे का खतरा है। जो लोकेशन नगर निगम ने तय की थी उसकी बजाय ठेकेदार ने अपनी मर्जी की लोकेशन पर यूनीपोल लगा दिए हैं। भाजपा पार्षद ने कहा कि इसी ठेकेदार ने एक साल पहले भी गड़बड़ी की थी, लेकिन निगम अफसरों ने करोड़ों रुपये के घोटाले को दो लाख रुपये का जुर्माना लगा कर दबा दिया था।

चौराहे से 100 मीटर की दूरी पर ही यूनीपोल लग सकता है

वरेश मिंटू ने कहा कि नियमों के मुताबिक चौराहे से 100 मीटर की दूरी पर ही यूनीपोल लग सकता है। दूसरा जरूरी नियम यह है कि दो यूनीपोल में कम से कम 200 फुट की दूरी होनी चाहिए। ठेकेदार ने इन नियमों को तोड़ा है। निगम की तय लोकेशन बदल कर चौराहों में यूनीपोल लगाए गए हैं, साथ ही एक साथ एक से जयादा यूनीपोल लगा दिए गए हैं।

इससे आने जानों वालों को ध्यान भंग होने से एक्सीडेंट होने का खतरा बढ़ गया है। विज्ञापन एडहॉक कमेटी की चेयरपर्सन नीरजा जैन ने मॉडल टाउन में विज्ञापन साइटों का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने अनियमितता पकड़ी कि तय संख्या से ज्यादा यूनीपोल लगे हैं और उनका साइज भी बड़ा है। उन्होंने इसमें करीब 4 करोड़ के घोटाले की आशंका जताई थी।

ये है एग्रीमेंट की शर्तें

एग्रीमैंट की शर्त नंबर 15,23,25,28,30,31 और 48 का ठेकेदार ने पूरी तरह से उलंघन कर अपनी फर्म को फायदा पहुंचाकर निगम के साथ धौखा किया है। इसी तरह ज्यादातर यूनिपोल चौराहों के कार्नर प्वाईंट्स पर लगाए गए और कई चौराहों में 6 यूनिपोल लगाए गए जोकि बाईलाज का उलंघन है।

इनमें से कई यूनिपोल का साईज तयशुदा साईज से अधिक है। बाईलाज अनुसार यूनिपोल की आपसी दूरी 90 फुट होनी जरुरी है। इसी तरह बोर्ड के फ्रेम के बीच आपसी दूसरी 225 फुट होनी चाहिए। निगम द्वारा अलाट किए गए यूनिपोल का साईज 20 फुट बाई 10 फुट है। मगर ठेकेदार द्वारा मौके पर ज्यादातर यूनिपोल पर 2 फुट का फ्रेम लगाकर साईज को बड़ा कर दिया गया है। जिसकी मंजूरी नहीं है।

मेयर ने पारित किया प्रस्ताव, चंडीगढ़ में अटका

मेयर जगदीश राजा ने पूरे हाउस की सहमित से टैंडर रद्द कर सरकार को भेजाा। दूसरी तरफ विज्ञापन ठेकेदार ने शहर के प्राइम लोकेशन पर होर्डिंग लगा रखा है। इस संबंध में नीरजा जैन ने कहा है कि ठेकेदार का प्रस्ताव निगम हाउस ने रद्द कर दिया है। बावजूद इसके ठेकेदार अपनी मनमानी कर रहा है। इस संबंध में निगम कमिश्नर करुणेश शर्मा ज्यादा बता सकते हैं कि कैप्टन साहब के बोर्ड क्यों उतारे गए। वहीं, निगम कमिश्नर करुणेश शर्मा को जब फोन किया गया तो उन्होेंने फोन रिसीव नहीं किया। अगर निगम कमिश्नर की तरफ से कोई बात की जाती है तो डेली संवाद उसे प्रमुखता से प्रकाशित करेग।




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