मुख्यमंत्री कैप्टन ने 2.85 लाख किसानों के 520 करोड़ रुपए कर्ज किए माफ, MLA सुशील रिंकू भी रहे मौजूद

Daily Samvad
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डेली संवाद, श्री आनन्दपुर साहिब
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने तीन काले कृषि कानूनों के खि़लाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों को निरंतर समर्थन देने की घोषणा करते हुए शुक्रवार को 2.85 लाख कृषि मज़दूरों और भूमिहीन किसानों के लिए 520 करोड़ रुपए की कर्ज राहत स्कीम की शुरुआत की और इसको पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की गरीब हितैषी सोच की ओर एक श्रद्धाँजलि बताया।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं उम्मीद करता हूँ कि एक दिन ऐसा आऐगा जब भारत गरीबी से मुक्ति हासिल कर लेगा, जैसा कि राजीव गांधी का सपना था।’’ उन्होंने इस बेहद अहम स्कीम को अपने करीबी दोस्त के 77वें जन्मदिन पर राज्य को समर्पित किया। इस पक्ष की तरफ ध्यान देते हुए कि राजीव गांधी उनके करीबी मित्र थे, कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री हमेशा यह पूछा करते थे कि वह दिन कब आऐगा जब लोगों के पास रहने के लिए अपना घर होगा और भारत गरीबी से आज़ाद होगा।

राजीव गांधी के जन्मदिन के अवसर पर शुरू किया

इसलिए उन्होंने यह ठीक समझा कि इस स्कीम को राजीव गांधी के जन्मदिन के अवसर पर शुरू किया जाए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कांग्रेस बीते 130 वर्षों से लोगों के लिए लड़ाई लड़ती आ रही है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उनकी सरकार ने कृषि मज़दूरों और भूमिहीन किसानों के 520 करोड़ रुपए के कर्ज 31 जुलाई, 2017 को उनके सहकारी कजऱ् पर बनती मूल राशि और 6 मार्च, 2019 तक उपरोक्त रकम पर सालाना 7 प्रतिशत आम ब्याज माफ करने का फ़ैसला किया है। यह ध्यान देने योग्य है कि राज्य सरकार ने इससे पहले 5.85 लाख छोटे और सीमांत किसानों के 4700 करोड़ रुपए के कजऱ्े (2 लाख रुपए प्रति तक के फ़सलीय कजऱ्) माफ कर दिए थे।

यह ऐलान करते हुए कि उनका दिल दिल्ली की सरहदों पर आंदोलन कर रहे किसानों के साथ है, मुख्यमंत्री ने यह साफ़ किया कि वह केंद्र सरकार, जोकि किसानों की नहीं सुन रही, द्वारा अपनाए गए रूख से सहमत नहीं हैं। उन्होंने सवाल किया, ‘‘हम 127 बार संविधान में संशोधन कर चुके हैं तो अब हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते? भारत सरकार कृषि कानूनों को इज्जत का सवाल बनाकर क्यों जि़द पर उतरी हुई है?’’ उन्होंने यह भी कहा कि उनकी तरफ से स्पष्ट रूप में प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को यह कानून रद्द करने के लिए विनती की गई है।

केंद्र सरकार को किसानों का दर्द नजऱ नहीं आ रहा

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनको पंजाब के किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए कहा गया है। परन्तु उन्होंने यह भी बताया ‘‘मैंने कभी भी उनको नहीं रोका क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में आंदोलन करने का हरेक का प्रजातांत्रिक हक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह छोटे किसान अपने लिए नहीं बल्कि अपनी आने वाली नसल के लिए लड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि क्योंकि केंद्र सरकार को किसानों का दर्द नजऱ नहीं आ रहा।

उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि यह किसान ज़्यादातर वह हैं जिनके पास 2.5 एकड़ ज़मीन है। लम्बे समय पहले अपनी पोलैंड फेरी को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने देखा कि उस देश में ज़मीन की हदबंदी मौजूदा 40 एकड़ से बढ़ाकर 100 एकड़ कर दी गई थी, क्योंकि छोटी ज़मीनों वाले परिवार अपना गुज़ारा नहीं कर सकते। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए आप यह सोच सकते हो कि उन लोगों का क्या होगा जिनके पास 2.5 एकड़ ज़मीन है। वह अपने परिवारों का गुज़ारा कैसे चलाऐंगे यदि नए कानून उन पर थोप दिए गए।’’

तकरीबन 400 किसानों की मौत हो चुकी

इस बिंदू की तरफ ध्यान दिलाते हुए कि तकरीबन 400 किसानों की मौत हो चुकी है, उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य के ऐसे किसानों के परिवार को 5 लाख रुपए की मदद दे रही है जो रोजग़ार गंवा चुके है। इसके अलावा उनको नौकरियाँ दी जा रही हैं और 200 को तो नियुक्ति पत्र भी मिल चुके हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को न्युनतम समर्थन मूल्य और बाज़ार प्रणाली और देश हित में किसानों और आढ़तियों के सदियों पुराने संबंधों की रक्षा करनी चाहिए।

स्कीम की सांकेतिक शुरुआत मुख्यमंत्री ने 21 कृषि मज़दूरों और भूमिहीन किसानों को निजी तौर पर चैक बाँटे। मंत्रियों और विधायकों द्वारा आने वाले कुछ दिनों के दौरान शेष प्रत्येक को चैक बाँटे जाएंगे। मुख्यमंत्री ने याद करते हुए कहा कि जब मार्च, 2017 में उनकी सरकार ने सत्ता संभाली थी तब किसानों द्वारा आत्म हत्याएँ आम थीं।

राज्य की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उनकी सरकार ने गरीब किसानों की पहचान करने की कार्यवाही आरंभ की और यह पाया कि 15.7 लाख भूमिहीन किसान और कृषि मज़दूर राज्य के 32.7 लाख ग्रामीण घरों (2011 की जनगणना के मुताबिक) का 48 प्रतिशत हिस्सा हैं। उन्होंने आगे बताया कि और 9.8 लाख कृषि से जुड़े ग्रामीण परिवार हैं (30 प्रतिशत) और इन दोनों को मिलाकर कृषि करने वाले लोगों की संख्या ग्रामीण घरों के 78 प्रतिशत के बराबर पहुँचती है। उन्होंने ऐसे लोगों को कोविड महामारी, जिसने अब तक 16,000 पंजाबियों की जान ली है, के बावजूद भरपूर फ़सल पैदा कर राज्य की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान पाने के लिए सराहना की।

किसान भाईचारे के कल्याण के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की किसानी आज दौराहे पर खड़ी है क्योंकि ग्रामीण कजऱ् और किसानों की आत्महत्याओं में वृद्धि होती जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उचित फ़सल बीमा ना हाने के कारण इस्तेमाल किए जाने वाले सामान की उच्च कीमत और केंद्र सरकार द्वारा स्वामीनाथन कमेटी की सिफारशों को हू-ब-हू लागू करने में नाकाम रहने के कारण किसानों की मुश्किलों में वृद्धि हो रही है, जोकि मौसम की मार भी बर्दाश्त कर रहे हैं।













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