करप्शन के खिलाफ सरकार की बड़ी कार्रवाई, 8 दागी अफसर बर्खास्त, बड़े अधिकारी भी शामिल

Daily Samvad
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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर सरकार ने और आठ दागी कर्मचारियों को गुरुवार को बर्खास्त कर दिया। इन सभी कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता के आरोप हैं। सूत्रों के अनुसार बर्खास्त होने वालों में रुसा के मिशन डायरेक्टर रवींद्र कुमार भट भी शामिल हैं, जिन्होंने विभिन्न विभागों में तैनाती के दौरान भ्रष्टाचार किया। उनके खिलाफ तत्कालीन विजिलेंस विभाग (अब एसीबी) ने 2015 में मुकदमा दर्ज किया था।

बडगाम में असिस्टेंट कमिश्नर रेवेन्यू रहने के दौरान रोशनी योजना के तहत उन्होंने अनियमित तरीके से सरकारी जमीन हस्तांतरित कर दी। कपटपूर्ण तरीके से मार्केट रेट से काफी कम कीमत जमीन की तय की। अनधिकृत तरीके से आवासीय से कृषि भूमि के रूप में वर्गीकरण को परिवर्तित किया।

इस प्रकार सरकार को भारी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा। अधिकारी के खिलाफ अक्तूबर 2019 में अभियोजना कार्रवाई की संस्तुति की गई। ग्रामीण विकास विभाग में निदेशक पद पर तैनाती के दौरान भी उन्होंने भ्रष्टाचार करते हुए बिना टेंडर प्रक्रिया के भारी मात्रा में खरीद की। एसीबी की संयुक्त टीम ने आकस्मिक जांच में इस गड़बड़ी को पकड़ा। अधिकारी के खिलाफ वित्तीय जिम्मेदारी के निर्वहन में भी गड़़बड़ी की शिकायतें रहीं।

घटिया सामग्री ऊंचे दामों पर खरीदी

सर्वे एवं लैंड रिकार्ड्स श्रीनगर के क्षेत्रीय निदेशक व जेकेएस अधिकारी मोहम्मद कासिम वानी को भी बर्खास्त किया गया है। कुपवाड़ा में आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम अधिकारी के रूप में तैनाती के दौरान उन्होंने घटिया सामग्री ऊंचे दामों पर खरीदी। इस मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी। 2020 में सरकार ने अभियोजन की संस्तुति की और एसीबी ने उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। वानी ने अपनी पत्नी के नाम पर काफी संपत्ति खरीद रखी है।

एआरआई एंड ट्रेनिंग विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी नूर आलम को भ्रष्टाचार मामले की जांच के बाद कार्रवाई की गई। सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए उसने संपत्ति बनाई। 2019 में उसके खिलाफ एसीबी ने मुकदमा दर्ज करते हुए चार संपत्तियां अटैच कीं। इसमें जम्मू में एक मकान, अलग-अलग स्थानों पर 10 मरला जमीन, तीन कनाल जमीन और 10 मरला जमीन को भी अटैच किया। इन संपत्तियों के अलावा उसने अपनी पत्नी व परिवार के अन्य सदस्यों के नाम कई संपत्तियां बनाई। व्यावसायिक वाहनों समेत कई वाहन भी खरीदे।

अस्तित्व में थी ही नहीं समिति, दे दिया 223 करोड़ का ऋण 

केएएस अफसर मोहम्मद मुजीब-उर-रहमान घासी को सहकारिता विभाग में तैनाती के दौरान 223 करोड़ का ऋण अस्तित्व में न रहने वाले सहकारिता समिति को देने के आरोप में बर्खास्त किया गया। वह वर्तमान में निलंबित चल रहे थे। सूत्रों के अनुसार सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे कर्मचारियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई में तेजी लाई है।

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