देश में कपड़े, शराब और इलेक्ट्रिकल सामान हो सकते हैं 10 फीसदी महंगे, जाने वजह

Daily Samvad
5 Min Read

नई दिल्ली। कच्चे माल की बढ़ी हुई कीमतों, आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों के चलते लगातार बढ़ती लागत ने व्यवसायों के मुनाफे को बुरी तरह से प्रभावित किया है। थोक मुद्रास्फीति दोहरे अंकों पर टिकी हुई है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे हाल-फिलहाल इससे राहत मिलती नहीं दिख रही है। इस संबंध में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले साल की शुरुआत में कपड़े से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामान तक के दामों में 8 से 10 फीसदी की मूल्यवृद्धि हो सकती है। कांच, कपास, स्टील, चिप्स और रसायन जैसे कच्चे माल में तेजी से कारोबारियों के मुनाफे पर असर पड़ा है।

लागत में इजाफा होने से रोजमर्रा के सामान से लेकर अन्य जरूरी वस्तुओं का निर्माण करने वाली कंपनियों का मुनाफा कम हुआ है। ऐसे में कंपनियां अपने इस लागत के बोझ को कम करने के लिए और इसकी भरपाई के लिए ग्राहकों को झटका देने की तैयारी में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों द्वारा अगले साल की शुरुआत में कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, शराब और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी विवेकाधीन वस्तुओं की कीमतों में 8 फीसदी से लेकर 10 फीसदी तक की वृद्धि की जा सकती है। इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ने वाला है।

पहले से ही कई वस्तुओं के दाम बढ़े

रिपोर्ट के अनुसार, पहले से ही किराने की आवश्यक चीजें, व्यक्तिगत देखभाल उत्पाद, पैकेज्ड फूड और डाइनिंग के कारोबार में लगीं कंपनियों ने अपनी कीमतों में वृद्धि की हुई है और एक बार फिर बढ़ोतरी करने के लिए तैयार नजर आ रही हैं। इसे नए साल तक लागू किया जा सकता है। गौरतलब कि कोरोना संक्रमण के मामले कम होने और लागू प्रतिबंधों के हटाए जाने के बाद सभी क्षेत्रों में बिक्री महामारी के पूर्व स्तर पर आ चुकी है। ऐसे में संभावित मूल्य वृद्धि के कारण मांग पर नए सिरे से दबाव बढ़ रहा है।

रिपोर्ट में बताया गया कि थोक मुद्रास्फीति, जो निर्माताओं द्वारा खर्च की गई लागत को प्रदर्शित करती है, लगातार छह महीने से अधिक समय से दोहरे अंकों में है। हालांकि, खुदरा या उपभोक्ता मुद्रास्फीति सितंबर महीने में घटकर पांच महीने के निचले स्तर आ गई है। सितंबर में खुदरा महंगाई 4.35 फीसदी पर आ गई। WPI और CPI के बीच का अंतर इंगित करता है कि व्यवसायों को अभी तक बढ़ी हुई लागत का बोझ ग्राहकों पर नहीं डाला है। यानी बढ़ी हुई लागत का बोझ कंपनियों पर ही पड़ रहा है, जिसे अब कंपनियां ग्राहकों पर डालने का मन बना चुकी हैं।

सूती धागे की कीमत एक दशक के उच्च स्तर पर

कपड़ा क्षेत्र सूती धागे की कीमतों में वृद्धि से प्रभावित है। सालाना आधार पर सूती धागे की कीमत 60 फीसदी तक बढ़ गई है और यह एक दशक में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इससे कपड़े की कीमतों पर असर पड़ा है। कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है, जिससे इस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के लिए कीमतों में वृद्धि करना जरूरी हो गया है।

लाइफस्टाइल इंटरनेशनल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवराजन अय्यर की मानें तो कच्चे माल की कीमतें महीने-दर-महीने बढ़ रही हैं, ऐसा कंपनी ने पहले कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा कि हमें एक अच्छा संतुलन बनाए रखना होगा। यदि कीमतें बढ़ना जारी रहेगा तो मांग में कमी हो सकती है।

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में अगले हफ्ते मृल्यवृद्धि संभव 

ईंधन और रसद लागत ने भी दबाव में इजाफा किया है। थोक ईंधन और बिजली मुद्रास्फीति सितंबर में 24.8 फीसदी थी, इसके साथ ही माल भाड़ा भी रिकॉर्ड स्तर पर था। वहीं रेफ्रिजरेटर, एसी, वाशिंग मशीन और माइक्रोवेव ओवन जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स की कीमतों में अगले सप्ताह की शुरुआत में 5 से 6 फीसदी की वृद्धि होने की उम्मीद है।

शराब उद्योग पर भी महंगाई का साया

अगले साल एक और बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है। शराब उद्योग को भी लागत में बढ़ोतरी का दबाव झेलना पड़ रहा है। कांच की बोतलों की बढ़ती कीमतों के साथ पैकेजिंग लागत में 5 से 17 फीसदी तक की बढ़ोतरी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अगले साल से शराब भी महंगी होने की पूरी संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, शराब के दाम में 10 फीसदी तक इजाफा हो सकता है। (credit-amarujala)

शादीशुदा युवक की Love Story। मण्डप में पत्नी का हंगामा

https://youtu.be/Cm85DQGTzUE

लेटेस्ट हिन्दी न्यूज के लिए इसे क्लिक करें और हमारे Telegram ग्रुप को अभी ज्वाइन करें




728

728
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *