रजनीश शुक्ला/विशाल कपूर
डेली संवाद, जालंधर, लुधियाना
जालंधर के कई जगहों पर पिछले दो दिनों से पंफलेट व पर्चे बांटकर एक विशेष सूचना जारी की जा रही है। इस सूचना में बताया जा रहा है कि पारिवारिक क्लेश के कारण लुधियाना वूलेन गारमेंट उद्योग का एक बड़ा परिवार बिखर गया है। जिसके कारण कई फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं। अब परिवार वूलेन गारमेंट का व्यापार नहीं करेंगे। जिसेस अब कुछ बड़ा होगा।
इस सूचना में कहा गया है कि इन बंद पड़ी फैक्ट्रियों का वूलन गारमेंट्स का करोड़ों रुपए का न्यू फ्रेश स्टाक बिल्कुल कम दाम में देश भगत यादगार हाल में बेचा जा रहा है। आयोजक का दावा है कि 1000 से लेकर 4000 रुपए वाले ब्रांडेंड कपड़े वह महज 250 से 500 रुपए में बेच रहा है।
लुधियाना के इंडस्ट्रियलिस्ट्स बोले – झांसे में मत आना
डेली संवाद की टीम ने जब इसकी जालंधर के देश भगत यादगार हाल और लुधियाना के वूलेन इंडस्ट्री के घरानों से बात की तो माजरा कुछ और ही निकला। लुधियाना के वूलेन इंडस्ट्रियलिस्ट्स हरीश केयरपाल ने बताया कि लुधियाना की वूलेन इंडस्ट्री का कोई भी परिवार बिखरा नहीं है, न ही किसी की कोई फैक्ट्री बंद हुई है। यह सब महज पुराने और बेकार कपड़े बेचने का स्टंट हैं।
उधर, देश भगत यादगार हाल में देखा गया कि जो कपड़े बेचे जा रहे हैं, वो काफी पुराने और फैक्ट्री से आउट किया गया माल है। जो फैक्ट्री में किलो के हिसाब से खरीद कर यहां कौड़ियों के भाव बेचने का दावा किया जा रहा है। अगर आप भी देश भगत यादगार हाल में ब्रांडेड कपड़े खरीदने की हसरत लेकर जा रहे हैं, तो सावधान रहें कि वहां कोई ब्रांडेड कपड़ा नहीं, बल्कि फैक्ट्री से किलो के हिसाब से खरीदे गए कपड़े बेचे जा रहे हैं। वहीं, आयोजक मुकेश अग्रवाल का दावा है कि उनकी फैक्ट्री बंद हो गई है। उनके घर में विवाद हुआ है।
अगले पार्ट में पढ़ें – कहां से खरीदा किलो के हिसाब से वूलेन कपड़ा, क्या है इसकी असली कीमत, पढ़ते रहें डेली संवाद
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