जालंधर के वस्सल अस्पताल के मालिक पर सनसनीखेज आरोप, पढ़ें पीड़ितों की ज़ुबानी

Daily Samvad
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डेली संवाद, जालंधर
इलाज में कोताही बरतने को लेकर कपूरथला रोड स्थित वस्सल अस्पताल में मरीज और उनके परिजनों ने जमकर हंगामा किया। परिजनों व उनके समर्थकों ने अस्पताल के बाहर सड़क जाम कर प्रदर्शन किया। अस्पताल के डाक्टर ने आरोपों को नकारा है। दसूहा के रहने वाले मनिदर पाल सिंह को रीढ़ में दर्द की समस्या थी। परिजनों ने बताया कि करीब तीन माह पहले उनका वासल अस्पताल में पंकज त्रिवेदी से आपरेशन करवाया गया था। इलाज पर 1.90 लाख रुपये खर्च हुए। अस्पताल से छुट्टी मिलने के कुछ दिन बाद ही उसे दोबारा दर्द शुरू हो गया। निजी डाक्टरों से इलाज और टेस्ट करवाए भी करवाए गए। परिजनों ने डा. पंकज त्रिवेदी को दिखाया तो उन्होंने बिना पैसे के दोबारा आपरेशन करने की बात कही।

हालांकि वह आपरेशन के बाद भी पूरी तरह ठीक न होने की गारंटी नहीं दे रहे। इसके बाद गुस्साएं मरीजों के परिजनों ने भी सड़क पर धरना दिया और ट्रैफिक जाम हो गया।

राजस्थान से आए मरीज जुबेर खान ने इलाज कराया लेकिन उनको भी यही प्रॉब्लम है 23 सितंबर को बंसल हॉस्पिटल में इनका ऑपरेशन हुआ था लेकिन दर्द जैसे का तैसा रहा m.r.i. किया गया तो उसमें वही प्रॉब्लम निकली जो पहले थी इसके बाद डॉक्टर ने दोबारा ऑपरेशन किया लेकिन जुबेर खान का दर्द नहीं गया तब डॉक्टर ने कहा था कि 1 से 2 महीने लगेंगे आप ठीक हो जाएंगे लेकिन 2 महीने बीत गए दर्द जैसे का तैसा है। आज जब अस्पताल में फिर चेक कर आया तो डॉक्टर ने कहा अब तीसरा ऑपरेशन करना पड़ेगा। जुबेर खान ने बताया कि अब तक वसल हॉस्पिटल ने उसे 2 से 2.50 लाख रुपए वसूल कर चुके हैं लेकिन इलाज से कोई फायदा नहीं हुआ।

आदमपुर से इलाज के लिए आये चरणजीत सिंह ने बताया कि इस अस्पताल के डॉक्टर ने दो बार ऑपरेशन किया लेकिन अभी तक पीठ का दर्द नहीं गया। चरणजीत सिंह ने बताया कि अब तक करीब डेढ़ लाख रुपए वसल हॉस्पिटल को दे चुके हैं लेकिन इलाज में कोई फायदा नहीं हुआ है हम हमारे पैसे वापस किए हैं।

डा. पंकज त्रिवेदी ने मरीज के परिजनों की ओर से लगाए आरोपों को नकारा है। उन्होंने कहा कि आपरेशन के बाद मरीज बिल्कुल ठीक हो जाते है। अस्पताल से जाते समय उनकी वीडियो भी तैयार की जाती है और मरीज इलाज से संतुष्ट व्यक्त करते है। आपरेशन के बाद कम से कम तीन माह तक सावधानियां बरतने की बात कही जाती है। मरीज सावधानियां नही बरतते और उन्हें दोबारा समस्या आ जाती है। हालांकि सारी हिदायतें मरीज को अस्पताल से छुट्टी देने के उपरांत फाइल में भी दी जाती है




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