महाबीर जायसवाल
एडिटर, डेली संवाद
पंजाब का यह चुनाव बहुत ही दिलचस्प रहा है। इस बार बहुत ही जबरदस्त मुकाबला है। इस बार, कई पार्टी है। कांग्रेस है, भाजपा है, शिरोमणि अकाली दल है, आम आदमी पार्टी है। कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस है, तो सुखदेव ढींढसा की शिअद संयुक्त भी है। बसपा के साथ अकाली दल है तो किसानों की अलग ही पार्टी है।
इस बार लोगों के सामने बहुत सारे विकल्प रहे। जिस तरह से खाने के प्लेट में एक साथ कई सारी डिश परोसने पर लोग कनफ्यूज हो जाते हैं कि क्या खाएं और क्या छोड़े, उसी तरह इस बार पंजाब का मतदाता भी कन्फ्यूज रहा। नतीजा यह रहा है कि मतदान का प्रतिशत कम रहा।
किसी पार्टी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं
अभी तक जो रिपोर्ट आ रही है, उससे यह साफ है कि पंजाब में किसी पार्टी को भी स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। चर्चा यही है कि हंग असेंबली होगी। यानि कोई भी सरकार नहीं बना सकता। अब बात आती है कि अगर हंग असेंबली आई तो सबसे बड़ी पार्टी कौन होगी।
पंजाब में आम आदमी पार्टी ने पिछली बार की तरह इस बार भी माहौल बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। जिस तरह से 2017 में 117 में से 70 से 80 सीट जीतने का माहौल आम आदमी पार्टी ने बनाया था, लेकिन परिणाम आया तो 20 सीट ही आई। ठीक इसी तरह आम आदमी पार्टी ने इस बार भी पूरा माहौल खड़ा कर दिया।
आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर रहेगी
एक बात तो तय है कि आम आदमी पार्टी न तो नंबर एक पर है न ही नंबर दो पर है, बल्कि आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर रहेगी। ग्राउंड रिपोर्ट में तो यह कहा जा रहा है कि नंबर वन पर अकाली दल आ सकती है। क्योंकि किसानों का साथ अकाली दल को मिला है।
इसके साथ ही बसपा से गठबंधन के बाद अकाली दल को बड़ा फायदा मिला है। बसपा से गठबंधन के बाद अकाली दल को दलित वोटरों का फायदा हुआ है। जिससे लोग कह रहे हैं कि सिंगल लारजेस्ट पार्टी अकाली दल बनेगी। अगर ऐसा हुआ तो अकाली दल, भाजपा के साथ मिलकर पंजाब में सरकार बना सकती है।
कांग्रेस सिंगल लारजेस्ट पार्टी बन सकती है
हालांकि ग्राउंड रिपोर्ट में एक वर्ग यह भी कह रहा है कि कांग्रेस सिंगल लारजेस्ट पार्टी बन सकती है, इसका कारण दलित सीएम फेस होना बताया जा रहा है। लेकिन अकाली दल के चांसेेंस ज्यादा बताए जा रहे हैं।
अब अगर भाजपा की बात करें तो भाजपा ने इस बार अपना आधार मजबूत किया है। भाजपा को हिन्दू वोट का पूरा फायदा मिलता दिख रहा है। जिससे डबल डिजिट में भी भाजपा गठबंधन सीट ला सकती है। हालांकि कहा जा रहा है कि 5 से 9 सीट भाजपा गठबंधन ला सकती है।
कहा जा रहा है कि पंजाब में डेरा इस बार अकाली दल और भाजपा को वोट देने के लिए कहा। इसका उदाहरण खुद पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की नाराजगी है। चन्नी इस बात से नाराज है कि डेरा के लोग अकाली दल और भाजपा को वोट देने के लिए कहा।
भाजपा उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रही है
तो दूसरी तरफ भाजपा उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रही है। अकाली दल और बसपा अगर 45 सीट लेकर सिंगल लारजेस्ट पार्टी बनाती है तो भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना सकती है। इसमें आम आदमी पार्टी के कुछ विधायक भी टूटकर आ सकते हैं।
लोग एक और विकल्प पर चर्चा कर रहे हैं कि अकाली-भाजपा ने मिलकर सरकार न बना सकी तो पंजाब में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। जिससे अंतता पंजाब में भाजपा ही शासन करती दिख रही है। हालांकि यह सब कयासों का दौर है, असली परिणाम 10 मार्च को आएंगे। तब तक आप भी कयास लगाते रहें।