अशोक सिंह भारत
डेली संवाद, चंडीगढ़
पंजाब विधान सभा में सदन के नेता और मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा चंडीगढ़, पंजाब को सौंपने के लिए केंद्र सरकार से अपील करता प्रस्ताव पेश किया गया जिसको सदन ने सर्वसम्मति से पास कर दिया।
सदन ने केंद्र सरकार से माँग की कि हमारे संविधान में दर्ज संघवाद के सिद्धांतों का सम्मान करते हुए ऐसा कोई भी कदम न उठाएं जिससे चंडीगढ़ प्रशासन और भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) जैसी अन्य सांझी सम्पतियों के संतुलन में विघ्न पड़ता हो। हालाँकि, भाजपा के विधायक अश्वनी शर्मा ने प्रस्ताव पर विचार-चर्चा में हिस्सा लेते हुए प्रस्ताव का विरोध किया और इसके बाद रोष के तौर पर विधान सभा से वॉकआउट कर गए।
लड़ाई उचित नतीजे तक लड़ी जा सके
16वीं पंजाब सभा के पहले सैशन की एक दिवसीय विशेष बैठक के दौरान सत्ताधारी और विरोधी पक्षों के अलग-अलग सदस्यों की तरफ से उठाए नुक्तों को विचारने के बाद विचार-चर्चा को समेटते हुए भगवंत मान ने कहा कि उनकी सरकार इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए सभी रास्ते तलाशेगी और प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को मिलने का समय लेकर अपना पक्ष पेश करेगी जिससे पंजाब के बनते हकों की लड़ाई उचित नतीजे तक लड़ी जा सके।
विरोधी पक्ष के सदस्यों को न्योता देते हुए भगवंत मान ने सभी पार्टियों को राजनैतिक विभिन्नताओं से ऊपर उठ कर खुलदिली से सहयोग और समर्थन देने की माँग की क्योंकि यह मसला बहुत संवेदनशील और जज़्बाती और सामाजिक नज़रिए से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस कारण बड़े सार्वजनिक हित में हम सभी को एक मंच पर इकठ्ठा होना चाहिए जिससे एकजुट होकर केंद्र सरकार से राज्य की वाजिब माँगें मनवाई जा सकें।
एकजुट होकर आवाज़ बुलंद करते हैं
संसद मैंबर के तौर पर अपने बीते तजुर्बे को सांझा करते हुये भगवंत मान ने राज्य के सभी संसद सदस्यों और विधायकों को दक्षिणी राज्यों के नेताओं की तरह एकता और मेलजोल की भावना ज़ाहिर करने का न्योता दिया क्योंकि दक्षिण के नेता अपने-अपने राज्य के हकों की ख़ातिर निजी और संकुचित हित एक तरफ़ रख करके एकजुट होकर आवाज़ बुलंद करते हैं।
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर बरसते हुये भगवंत मान ने कहा कि इसकी लीडरशिप ख़ास कर पंजाब, दिल्ली, पश्चिमी बंगाल जैसे राज्यों में बदलाखोरी की राजनीति करने पर तुली हुई है, जहाँ इसकी लीडरशिप अपनी सरकार बनाने के लिए लोगों का जनादेश हासिल करने में बुरी तरह असफल रही है।
दबाव में आकर उनको रद्द कर दिया
भगवंत मान ने केंद्र पर अपने राजनैतिक हितों की पूर्ति के लिए संघीय ढांचे के साथ छेड़छाड़ करके राज्यों को सौंपी शक्तियां हड़प्पने के लिए भी निशाना साधा। एक उदाहरण देते हुये उन्होंने कहा कि केंद्र ने तीन काले किसान विरोधी कानूनों को लागू किया और बाद में देश भर में किसानों के ज़बरदस्त विरोध के कारण दबाव में आकर उनको रद्द कर दिया।
केंद्र की तरफ से पंजाब के साथ किये गए निराशाजनक और सौतेली माँ वाले सलूक का जिक्र करते हुये संसद मैंबर के तौर पर भगवंत मान ने एक घटना का वर्णन करते हुये बताया कि कैसे आतंकवादियों ने 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था और केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ राज्य के पुलिस बल ने अपनी निजी सुरक्षा की परवाह किये बिना आतंकवादियों को ख़त्म करने में सहायता की और बहादुरी से हमले का जवाब दिया।
सुरक्षा के लिए मोटी रकम अदा करनी पड़ी
मान ने हैरानी प्रकट करते हुये कहा कि केंद्र ने इस सम्बन्ध में राज्य को केंद्रीय सुरक्षा बल मुहैया करवाने के लिए 7.50 करोड़ रुपए का बिल बनाया था। उन्होंने कहा कि अंत में यह रकम समकालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के निजी दख़ल से उनके साथी संसद मैंबर साधु सिंह के साथ मुलाकात के बाद माफ कर दी गई थी। मान ने कहा, ‘‘यह बहुत ही विरोधाभासी है कि सरहदी राज्य जो आतंकवाद की मार झेल रहा है, को भी अपनी सुरक्षा के लिए मोटी रकम अदा करनी पड़ी है।’’
उन्होंने केंद्र को स्पष्ट करने के लिए कहा, ‘‘क्या आप पंजाब को देश का हिस्सा नहीं मानते?’’ राज्य में नशे के मुद्दे के बारे बात करते हुये भगवंत मान ने कहा कि उनको इस बात की समझ नहीं लग रही कि राजस्थान की सीमा का 2.5 गुणा से अधिक क्षेत्रफल और जम्मू-कश्मीर की सीमा का आधे से अधिक हिस्सा पाकिस्तान के साथ लगता होने के बावजूद जहाँ कँटीली तार भी नहीं है, में नशे की कोई समस्या नहीं है जबकि पंजाब अभी भी नशे की बीमारी से जूझ रहा है।
उम्मीदों को पूरा किया जायेगा
उन्होंने आगे कहा कि यहाँ राज्य में ‘चिट्टा’ तैयार किया जा रहा है और ऐसी घिनौनी गतिविधियों में शामिल और पंजाबी नौजवानों की नस्लकुशी के लिए ज़िम्मेदार व्यक्तियों का जल्द ही पर्दाफाश किया जायेगा। पंजाब को एक बार फिर से ‘रंगला पंजाब’ बनाने के लिए अपनी दृढ़ वचनबद्धता को दोहराते हुये भगवंत मान ने लोगों को अपनी सरकार में भरोसा जताने के लिए कहा और उनको विश्वास दिलाया कि उनके सपने जल्दी ही साकार होंगे और उनकी उम्मीदों को पूरा किया जायेगा।
इस मौके पर वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, कांग्रेसी विधायक प्रताप सिंह बाजवा, तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा, प्रगट सिंह, सुखपाल सिंह खैहरा और सन्दीप जाखड़, ‘आप ’ विधायक प्रिंसिपल बुद्ध राम, अमन अरोड़ा, प्रो. बलजिन्दर कौर, जय किशन रोड़ी और जीवनजोत कौर, अकाली दल के विधायक मनप्रीत सिंह इआली और बसपा के विधायक नछत्र पाल ने भी प्रस्ताव पर विचार-विमर्श में हिस्सा लिया।
चंडीगढ़ शहर को पंजाब की राजधानी के तौर पर अस्तित्व में लाया गया था। यदि पिछली मिसालें देखें तो जब भी किसी राज्य का विभाजन हुआ है, तो राजधानी मूल राज्य के पास रहती है। इसलिए पंजाब, मुकम्मल तौर पर चंडीगढ़ पंजाब को दिए जाने के लिए अपना दावा पेश करता रहा है।