पंजाब: पूर्व IG और AAP विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह ने अपनी ही सरकार के ख‍िलाफ खोला मोर्चा

Daily Samvad
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Kunwar-Vijay-Pratap

डेली संवाद, चंडीगढ़
पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार को अपने ही विधायक के विरोध का सामना करना पड़ रहा। ये विरोध पुलिस विभाग में हुई नियुक्‍ति को लेकर है। और विरोध करने वाला कोई और नहीं, आईपीएस से विधायक बने कुंवर विजय प्रताप सिंह (Kunwar vijay pratap singh) हैं।

उन्‍होंने दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों, प्रबोध कुमार को विशेष डीजीपी (खुफिया) और अरुण पाल सिंह को अमृतसर का पुलिस आयुक्त नियुक्ति करने के मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) के फैसले का विरोध किया है। फेसबुक पोस्‍ट के माध्‍यम से उन्होंने अपना विरोध जाताया था। लेकिन बाद में पोस्‍ट बदल दिया।

पार्टी विशेष का होने का आरोप

वर्ष 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी अरुण पाल सिंह को शनिवार को एक फेरबदल के दौरान अमृतसर के पुलिस आयुक्त के रूप में तैनात किया गया है वहीं पंजाब सरकार ने 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी विशेष डीजीपी प्रबोध कुमार को 25 मार्च को राज्य का नया खुफिया प्रमुख नियुक्त किया है। आप के अमृतसर उत्तर के विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के फैसले पर आपत्‍त‍ि जताई।

पिछले साल अप्रैल में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एसआईटी द्वारा की गई एक जांच को रद्द करने का आदेश दिया था। आम आदमी पार्टी के विधायक कुंवर विजय प्रताप भी जिसका हिस्सा थे। यह एसआईटी 2015 में फरीदकोट जिले के कोटकपुरा और बहिबल कलां में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस फायरिंग के 2 मामलों की जांच कर रही थी।

पोस्टिंग पर पुनर्विचार करने का अनुरोध

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के बाद कुंवर विजय प्रताप ने आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली थी। शनिवार की देर रात एक फेसबुक पोस्ट में कुंवर विजय प्रताप ने लिखा, ‘आम लोगों की व्यापक मांग पर मैंने उपयुक्त पार्टी मंच पर दो पुलिस अधिकारियों की पोस्टिंग पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है जो तत्कालीन एसआईटी का हिस्सा थे और दो बड़े राजनीतिक परिवारों के पक्षधर थे।

बरगारी-बहबल-कोटकपुरा मामले में न्याय न मिलने के लिए ये दोनों अधिकारी जिम्मेदार हैं। मैं एसआईटी में तीसरे नंबर पर था। नंबर एक को पुलिस विभाग में सबसे शक्तिशाली पद खुफिया प्रमुख के रूप में तैनात किया गया है। नंबर दो को पवित्र शहर अमृतसर के पुलिस आयुक्त के रूप में पुरस्कृत किया गया है।

AAP से न्‍याय की उम्‍मीद

कुंवर विजय प्रताप ने इस दौरान बीते साल दिए अपने इस्तीफे के बारे में भी बताया। उन्होंने लिखा कि पिछले साल 9 अप्रैल को आईपीएस से इस्तीफा दे दिया था। यह एक सामान्य इस्तीफा नहीं था। लिए मैंने इन दोनों हालिया पोस्टिंग पर पुनर्विचार करने के लिए उपयुक्त पार्टी मंच पर अनुरोध किया है।

मैंने माननीय मुख्यमंत्री से भी पत्र के माध्यम से बरगाड़ी मामलों में न्याय दिलाने के लिए हमारी आप सरकार द्वारा किए जाने वाले विशिष्ट बिंदुओं का हवाला देते हुए अनुरोध किया है। जबकि AAP ने कुंवर विजय प्रताप के पार्टी में शामिल होने के बाद पूरे राज्य में पोस्टर लगाए थे। उन्हें पार्टी की सरकार में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी गई थी।

मेरे इस्तीफे से ईर्ष्या कर रहे थे

कुंवर विजय प्रताप ने अपनी इस पोस्ट में आगे लिखा कि किसी को भी बेअदबी के मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। वे लिखते हैं क‍ि जिन लोगों ने बेअदबी मुद्दे पर राजनीति की, उन्हें ‘सर्वोत्तम अदालत’ द्वारा दंडित किया गया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने पंजाब के दो बड़े राजनीतिक परिवारों को दंडित किया है, जो मेरे इस्तीफे से ईर्ष्या कर रहे थे।

ये दोनों परिवार पंजाब राज्य के राजनीतिक मैदान पर कभी नहीं आएंगे। आम तौर पर लोगों को हमारी AAP सरकार से बरगारी-बहबल-कोटकपुरा मामले में ‘पूर्ण न्याय’ देने की बहुत उम्मीदें हैं।

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