किसानों की मदद के लिए हरियाणा सरकार ने शुरू की योजना, डॉ. चौहान बोले- ‘हर खेत, स्वस्थ खेत’ योजना में भागीदार बनें किसान 

Daily Samvad
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डेली संवाद, करनाल
जनस्वास्थ्य की देखभाल के लिए शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना की तरह खेतों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए भी हरियाणा सरकार ने ‘हर खेत, स्वस्थ खेत’ योजना शुरू की है। प्रदेश भर में यह योजना पिछले वर्ष से ही लागू है। इस योजना में करनाल जिले के छह प्रखंडों (ब्लॉक) को शामिल किया गया है। सरकार ने यह तय किया है कि करनाल जिले के सभी प्रखंडों में स्थित हर खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी।

यह जानकारी हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने रेडियो ग्रामोदय के लाइव कार्यक्रम के दौरान दी। वह खंड कृषि विकास अधिकारी डॉ. राधेश्याम और गांव राहड़ा के एक जागरूक किसान नरेंद्र राणा के साथ योजना के प्रावधानों पर चर्चा कर रहे थे।

मिट्टी के संबंध में पूरा विवरण दर्ज होगा

डॉ. चौहान ने बताया कि इस योजना के तहत कृषि वैज्ञानिक खेतों की मिट्टी की जांच कर यह बताएंगे कि मिट्टी की गुणवत्ता कैसी है और उनमें किन तत्वों की कमी या प्रचुरता है। खेतों की जांच कर संबंधित किसानों को ‘सोयल हेल्थ कार्ड’ जारी किए जाएंगे जिनमें किसान और उनके खेतों की मिट्टी के संबंध में पूरा विवरण दर्ज होगा।

चर्चा के दौरान कृषि विकास अधिकारी डॉ. राधेश्याम ने बताया कि पहले इस योजना के तहत सिर्फ तीन प्रखंडों असंध, मूनक और इंद्री को शामिल किया गया था जिसे बढ़ाकर अब छह खंडों तक कर दिया गया है। इन छह प्रखंडों में असंध, मूनक, घरौंडा, इंद्री, करनाल और कुंजपुरा को शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि ‘हर खेत, स्वस्थ खेत’ योजना को सफल बनाने के लिए हर गांव में दसवीं से बारहवीं तक के स्कूली विद्यार्थियों को कृषि सहायक नियुक्त करने की व्यवस्था की गई है।

24000 की आमदनी होगी

हर कृषि सहायक को प्रति किल्ले जमीन की मिट्टी के सैंपल एकत्र करने के बदले बतौर मानदेय ₹40 दिए जाएंगे। डॉ. राधेश्याम के अनुसार असंध ब्लॉक में करीब एक लाख एकड़ कृषि जमीन है। इनमें से सिर्फ राहडा गांव में ही लगभग 10 से 12000 एकड़ खेत हैं। अपने इलाके में एक किसान सहायक को अधिकतम 600 सैंपल एकत्र करने का मौका मिलेगा जिसके एवज में उसे 15 दिनों के भीतर ₹24000 की आमदनी होगी। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी कुछ हद तक मजबूत करेगा।

डॉ. चौहान के इस सवाल पर कि कृषि सहायक बनने के लिए पात्रता की शर्तें क्या हैं और योजना शुरू होने से लेकर अब तक करनाल क्षेत्र में कितने कृषि सहायक मिल पा रहे हैं, कृषि विकास अधिकारी डॉ. राधेश्याम ने बताया कि क्षेत्रफल के हिसाब से राहड़ा गांव में करीब 20 कृषि सहायकों की आवश्यकता है।

आधार कार्ड फैमिली आईडी

कृषि सहायक मैट्रिक उत्तीर्ण करने वाले छात्रों से लेकर प्लस-टू तक के विद्यार्थियों को बनाया जा सकता है। हर कृषि सहायक के पास एक एंड्रॉयड फोन होना चाहिए जिसमें मौजूद एक ऐप के जरिए मिट्टी के सैंपल का सारा विवरण दर्ज किया जाएगा, जैसे किसान का नाम, उसका किल्ला और फोन नंबर, आधार कार्ड फैमिली आईडी आदि।

ऑनलाइन विवरण के साथ-साथ उन्हें भरने के लिए एक प्रपत्र भी दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि मिट्टी के सैंपल की जांच करवाने के लिए सरकार ने प्रति किल्ले ₹10 की फीस तय की है। जांच के बाद किसानों को बताया जाएगा कि उनके खेत में किस चीज की कमी है और कौन सा खाद कब और कितनी मात्रा में डालने की जरूरत है।

भागीदारी के लिए तैयार हूं

गांव राहड़ा के प्रगतिशील किसान नरेंद्र राणा ने कहा कि इस योजना के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए गांवों में जागरूकता शिविर लगाया जाना चाहिए। सरकार का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है। डॉ. राधेश्याम ने इस सुझाव का स्वागत करते हुए कहा कि यदि ऐसा कोई शिविर लगे तो मैं अपनी भागीदारी के लिए तैयार हूं।

चर्चा के दौरान पिछले दिनों असंध से लेकर गोंदर तक तेज आंधी के कारण फैली आग से हुए नुकसान पर भी बात हुई। सभी इस बात पर सहमत थे कि यह एक मानव निर्मित आपदा थी जिसे विकराल रूप देने में प्रकृति ने भी अपनी भूमिका निभाई। इसमें जान और माल दोनों का नुकसान हुआ। सभी ने किसानों से अपने खेतों में आग न लगाने की अपील की।













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