डेली संवाद, जालंधर
Fake registry for NOC busted in Jalandhar Municipal Corporation: नगर निगम के बिल्डिंग ब्रांच में एनओसी और नक्शा पास करने को लेकर बड़ी धांधली सामने आई है। सरकार की सख्ती के बाद फर्जी रजिस्ट्री पर एनओसी औऱ नक्शा पास करने का बड़ा खेल उजार हुआ है। इस खेल के उजागर होने के बाद मेयर जगदीश राजा एक्शन में आ गए हैं। मेयर ने इसकी जांच ज्वाइंट कमिश्नर गुरविंदर कौर रंधावा को सौंपी है। उन्होंने एक सप्ताह में इसकी रिपोर्ट मांगी है।
नगर निगम में एनओसी जारी करने के मामले में बड़ा भंडाफोड़ हुआ है। नगर निगम की हद में शामिल हुए गांव सुभाना में एक कालोनी में तीन मरले से ज्यादा प्लाट की रजिस्ट्री एक ही स्टांप पेपर पर दो बार कर दी गई है। इसका खुलासा उस वक्त हुआ, जब इस प्लाट का नक्शा पास करवाने के लिए नगर निगम के बिल्डिंग ब्रांच में फाइल जमा करवाई गई।
स्टांप पेपर नंबर D 600402 पर फ्राड
जानकारी के मुताबिक नगर निगम से एनओसी हासिल करने के लिए मंजीत सिंह ने जो रजिस्ट्री की कापी लगाई, उसकी रजिस्ट्री तहसील से सितंबर 2017 में करवाई गई थी। स्टांप पेपर नंबर D 600402 पर लिखी गई रजिस्ट्री में पाल नामक व्यक्ति ने आबादी पिंड सुभाना, तहसील जालंधर में प्लाट नंबर 95 रकबा 3 मरले 64 वर्गफुट रिहाइशी की जमीन मंजीत सिंह के नाम पर रजिस्ट्री की है।
इस रजिस्ट्री की कापी को मंजीत सिंह ने नगर निगम से एनओसी हासिल करने लिए फाइल जमा करवाई। इसके बाद नक्शा पास करवाने के लिए मंजीत सिंह ने जो रजिस्ट्री लगाई, वह रजिस्ट्री सितंबर 2020 में हुई। हैरानी की बात तो यह है सितंबर 2020 की रजिस्ट्री में भी स्टांप पेपर नबर D 600402 है, इस पर हूबहू वही बातें लिखी हैं, जो 2017 की रजिस्ट्री में दर्ज है।
नक्शा पास करने के लिए 2020 की रजिस्ट्री लगाई
नगर निगम में जब नक्शा पास करवाने के लिए साल 2020 वाली रजिस्ट्री लगाई गई तो, इस अप्लीकेशन के साथ एनओसी का नंबर भी दर्ज किया गया था। एनओसी के नंबरों की जांच हुई तो रजिस्ट्री कोई और निकली। रजिस्ट्री एक ही व्यक्ति और एक ही जगह की थी, लेकिन दोनों रजिस्ट्रियों में तारीख का अंतर था। जिससे इस नक्शे को रोक लगा दिया गया और इसकी जानकारी मेयर और कमिश्नर को दी गई।
मेयर जगदीश राजा ने इसकी जांच के लिए ज्वाइंट कमिश्नर गुरविंदर कौर रंधावा को आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि इसकी जांच एक सप्ताह में करके रिपोर्ट दें। मेयर जगदीश राजा ने कहा है कि जांच के आदेश गए हैं। अगर निगम दफ्तर से कोई गलत एनओसी जारी की गई तो सीधे तौर पर बिल्डिंग ब्रांच जिम्मेदार होंगे।
बिल्डिंग ब्रांच में हड़कंप
उधर, इस धांधली के पकड़ में आने के बाद बिल्डिंग ब्रांच में हड़कंप है। क्योंकि इस तरह एनओसी के लिए कई फाइलें रोज निगम दफ्तर आती है, लेकिन इसकी पूरी तरह से विरीफिकेशन नहीं हो पाती। क्योंकि सभी इंस्पैक्टरों औऱ ड्राफ्ट्समैन के पास कोई कंप्यूटर नहीं है, जिससे इसकी बारीकी से जांच नहीं हो पा रही है।