डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar Smart City Scam: जालंधर स्मार्ट सिटी के 1000 करोड़ रुपए के प्रोजैक्ट में किस कदर धांधली हुई है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जो काम 8 करोड़ में होना था, उसका एस्टीमेट 21 करोड़ का बना दिया गया। भला हो पंजाब की जनता का, जिसने कांग्रेस सरकार को दरकिनार कर सूबे में आम आदमी पार्टी की सरकार चुनी और उसके बाद घोटालेबाजों के काम में थोड़ी ब्रेक लगी।
जालंधर सैंट्रल हलके के विधायक रमन अरोड़ा ने स्थानीय निकाय मंत्री इंदरबीर सिंह निज्जर ने शिकायत की है कि स्मार्ट सिटी के 21 करोड़ रुपए से शहर के चौकों का सौंदर्यीकरण और विकास काम में जमकर धांधली हुई है। जांच में पता चला कि इस काम को बाद में घटाकर 8 करोड़ का कर दिया गया। सबसे बड़ी हैरानी यह है कि नगर निगम के जेई से लेकर एसडीओ, एक्सईएन, एसई और स्मार्ट सिटी के प्रोजैक्ट हैड ने आखिरकार 21 करोड़ का एस्टीमेट बनाया ही क्यों?
एस्टीमेट घटाकर 8 करोड़ कर दिया
सूत्र बता रहे हैं कि एक ठेकेदार से मिलकर स्मार्ट सिटी के प्रोजैक्ट हेड, नगर निगम के इंजीनियर ने 21 करोड़ का एस्टीमेट बना डाला। सरकार बदलने के बाद नगर निगम के इंजीनियरों में खौफ आ गया। क्योंकि तब तक मुख्यमंत्री भगवंत मान ने करप्शन के खिलाफ जंग छेड़ दी थी, इसके बाद इस काम पर सांसद ने भी आपत्ति जताई। इसके बाद इसका एस्टीमेट घटाकर 8 करोड़ कर दिया गया।
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यानि 8 करोड़ में होने वाले काम का 21 करोड़ का एस्टीमेट बनाकर करीब 13 करोड़ रुपए हजम करने का प्लान था। फिलहाल यह जांच का विषय है। विधायक रमन अरोड़ा की शिकात के बाद स्थानीय निकाय मंत्री इंदरबीर सिंह निज्जर ने इसकी जांच स्मार्ट सिटी के नए सीईओ दविंदर सिंह को सौंप दी है।
बूढ़े इंजीनियर’ को 20 लाख की MG Hector गाड़ी गिफ्ट
स्मार्ट सिटी और नगर निगम के दफ्तरों में चर्चा है कि 21 करोड़ के काम को 8 करोड़ में बदलने वाले इंजीनियरों ने जमकर मलाई काटी है। यही नहीं, इंजीनियर भले ही 8 करोड़ का काम करवाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन असल में वहां करीब 5 करोड़ रुपए से ही काम हुए है। इसमें भी करीब 3 करोड़ रुपए की धांधली हो रही है। माना जा रहा है कि इसी ठेकेदार ने स्मार्ट सिटी के एक ‘बूढ़े इंजीनियर’ को 20 लाख की MG Hector गाड़ी गिफ्ट की है।
चेले के कई बैंक खाते, करीब 90 लाख जमा
सूत्र बता रहे हैं कि स्मार्ट सिटी के इसी बूढ़े इंजीनियर ने चेले के चार बैंक खाते में करीब 90 लाख रुपए जमा है। कहा जा रहा है कि नियम और शर्तों के आधार पर जो कंपनी स्मार्ट सिटी में काम करने आई थी, उसे इन्हीं बूढे इंजीनियर और इनके चेले ने एक उच्च अधिकारी के साथ मिलकर भगा दिया और बाद में उच्च अधिकारी के साथ मिलकर अपनी ही कंपनी बना डाली।
विदेश भागने की फिराक में बूढा इंजीनियर औऱ उनका चेला
सूत्रों के मुताबिक पता चला है कि उक्त बूढ़ा इंजीनियर और उनका चेला अब विदेश भागने की फिराक में है। स्मार्ट सिटी के 1000 करोड़ रुपए के हुए कामों की अगर अभी से जांच नहीं शुरू की गई और इनके मास्टर माइंड को काबू नहीं किया गया तो गुरु औऱ चेला विदेश फरार हो सकते हैं।
निगम का भट्ठा बैठाने वालों को स्मार्ट सिटी की कमान
जालंधर स्मार्ट सिटी बारे केंद्र सरकार तक जो फीडबैक पहुंचाया जा रहा है, उसमें अफसरों की भर्तियों संबंधी स्कैंडल भी शामिल है। आरोप है कि चंडीगढ़ में पूरी तरह सैटिंग करने के बाद नगर निगमों से रिटायर हुए अधिकारियों को स्मार्ट सिटी में भर्ती कर लिया गया। जिन अधिकारियों पर निगम में रहते करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप लगे, उन्हें दोबारा मलाईदार पदों पर नौकरी दे दी गई।
उन्होंने स्मार्ट सिटी में भी निगमों जैसा माहौल पैदा कर दिया और अपने चहेते ठेकेदार फिट करके खूब गोलमाल किया। अफसरों ने सवा सवा लाख वेतन तो लिया पर कभी साइट विजिट नही की जिस कारण ज्यादातर प्रोजेक्टों में जमकर घटिया मटेरियल का इस्तेमाल हुआ। आपको बता दें कि पिछले दिनों केंद्र सरकार की प्रतिनिधि साध्वी निरंजन ज्योति ने स्मार्ट सिटी जालंधर से जुड़े कामों का निरीक्षण किया। उन्होंने भी धांधली के आरोप लगाए हैं।
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