डेली संवाद, जालंधर। LPU Grabbed Government Land: लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (Lovely Professional University) को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। LPU के मालिकों ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है। हैरानी की बात तो यह है कि 3 जून 2022 को ग्राम विकास एवं पंचायत मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने जालंधर के जिला विकास एवं पचायत अफसर को चिट्ठी भेजकर LPU द्वारा कब्जाई गई जमीन को छुड़ाने का निर्देश दिया था, लेकिन दो महीने के बीच मंत्री के निर्देश पर कोई अमल नहीं हुआ।
लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) के मालिकों ने गांव की पंचायती जमीन पर कब्जा कर रखा है। इसका खुलासा मंत्री के उस पत्र से हुआ है, जिसे 3 जून 2022 को लिखा गया था। आपको बता दें कि लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) के मालिक अशोक मित्तल आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सदस्य हैं।
क्या सीएम मान करेंगे कोई कार्ऱवाई?
सरकारी जमीनों से अवैध कब्जा छुड़ा कर वाहवाही लूटने वाले मुख्यमंत्री भगवंत मान क्या अपनी ही पार्टी के राज्यसभा सदस्य और जालंधर में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) से पंचायती जमीन मुक्त करवा पाएंगे? इसे लेकर जालंधर समेत सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है।
पंजाब में भगवंत मान की अगुवाई वाली AAP सरकार ने 31 मई तक कब्जे न छोड़ने वालों भू-माफिया पर कानूनी कार्रवाई का दावा किया था। 31 मई की डेडलाइन खत्म होने के बाद खुद मुख्यमंत्री दावा कर चुके हैं कि इस अभियान में अब तक पंचायतों की पांच हजार एकड़ से ज्यादा ऐसी जमीन छुड़ाई गई जिस पर लंबे समय से राजनीतिक नेताओं और उच्च अधिकारियों ने कब्जा कर रखा था।
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यही नहीं, पिछले दिनों मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दावा किया है कि सांसद सिमरनजीत सिंह मान के बेटे द्वारा कब्जाई गई पंचायती जमीन को उन्होंने खुद जाकर कब्जामुक्त करवाया है। एसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि LPU के मालिक अशोक मित्तल से पंचायती जमीन मुक्त करवाई जाएगी।
मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री के दावे के बावजूद डीसी समेत तमाम अफसर AAP के राज्यसभा मेंबर और LPU की गई अवैध कब्जे पर मेहरबानी दिखा रहे हैं। मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने अफसरों को आदेश दिए थे कि LPU यूनिवर्सिटी का जिस जमीन पर कब्जा है, उसे मुक्त कराया जाए। इसके बावजूद किसी अधिकारी ने ये कब्जा छुड़ाने की हिम्मत नहीं दिखाई।
LPU ने 6 कनाल से ज्यादा पर किया कब्जा
जालंधर के जिला पंचायत अधिकारी हरजिंदर सिंह ने माना कि 6 कनाल से ज्यादा पंचायती जमीन LPU के कब्जे में है। यह जमीन मुआफी की है। वर्ष 1935 में रियासतकाल के दौरान यह जमीन गुरुघर को दी गई। सरकारी दस्तावेजों में यह जमीन हरदासपुर नगर पंचायत के नाम पर दर्ज है। गुरुद्वारा साहिब ने जमीन आगे LPU को किस तरह दी? इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। कागजों में यह जमीन हरदासपुर नगर पंचायत की ही है।
हरजिंदर सिंह ने कहा कि हरदासपुर नगर पंचायत चाहे तो अपनी जमीन से कब्जा छुड़ा सकती है। वैसे सरकार की ओर से भी पंचायत को जमीन मुक्त कराने की कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। इसी बीच विशेषज्ञों का कहना है कि मुआफी की जमीन का इस्तेमाल सिर्फ वही कर सकता है जिसे वो जमीन मुआफी में मिली हो। सरकारी नियमानुसार मुआफी की जमीन पर उसका मालिकाना हक नहीं होता। वह सिर्फ उसका इस्तेमाल कर सकता है। वह आगे न तो उस जमीन को पट्टे पर किसी को दे सकता और न ही उसे किसी को बेच सकता है। (साथ में bhaskar.com से कंटेंट)
किसी भी जमीन पर LPU का कब्जा नहीं: पीआरओ
उधर, LPU के पीआरओ ने कहा है कि जिस जमीन को लेकर मंत्री द्वारा अधिकारियों को चिट्ठी भेजकर मुक्त करवाने को कहा गया है, उस जमीन पर LPU का कोई कब्जा नहीं है। उक्त जमीन गुरुद्वारा साहिब की है। श्री गुरुद्वारा साहिब की तरफ से उक्त जमीन को गांव के ही रविंदर सिंह को किराए पर दिया गया है। उन्होंने कहा कि LPU पर लगाए गए आरोप झूठे हैं। इस संबंध में सभी रिपोर्ट प्रशासनिक अधिकारियों को भेजा गया है।
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