डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: जालंधर से बड़ी खबर है। जालंधर वेस्ट हलके के पूर्व विधायक और कांग्रेसी नेता सुशील रिंकू के नाम की आड़ में आरटीए दफ्तर में फ्राड करने का खुलासा हुआ है। यह फ्राड पूर्व विधायक के आधार कार्ड से छेड़छाड़ कर नाम बदलकर एक कार का पंजीकरण करवाने को लेकर किया जाने वाला था। इस फ्राड को आरटीए दफ्तर के ही एक मुलाजिम ने पकड़ा, जिससे अब जालंधर में मक्कड़ मोटर्स के मालिक समेत आरटीए दफ्तर के कारनामों को पोल खुल गई है।
जानकारी के मुताबिक परिवहन विभाग की ओर से वाहनों की बिक्री के बाद ग्राहकों की जानकारी आरटीए दफ्तर को भेजने के लिए डीलरों को दिए गए। डीलरों की परिवहन विभाग के साथ कथित मिलीभगत के चलते आधार कार्ड की टेंपरिंग करके वाहन खरीदने और बेचने का फर्जीवाड़ा सामने आया है।
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सरकार के नए आदेश के बाद मोटर डीलर ही वाहनों की रजिस्ट्रेशन के लिए ग्राहकों की जानकारी आनलाइन माध्यम से आरटीए दफ्तर भेजते हैं, इसलिए उनके पास पुराने ग्राहकों के आधार कार्ड की फोटो स्टेट या स्कैन कापी पहले से पड़ी होती है। आधार की इसी कापी में टेंपरिंग करके नए ग्राहकों को वाहन बेचे जा रहे हैं।
मक्कड़ मोटर्स ने एक वाहन का पंजीकरण के लिए आऱटीए दफ्तर में जो फाइल भेजी, उसमें कांग्रेस के पूर्व विधायक सुशील रिंकू के आधार कार्ड की कापी को टेंपर करके लगाया गया था। टेंपर की गई आधार की कापी में रिंकू की तस्वीर आरटीए के कर्मचारियों ने पहचान ली, परंतु आधार की टेंपर कापी में ग्राहक का नाम सौरभ चड्ढा और पता मोता सिंह नगर था। यही नहीं आधार का नंबर भी बदल दिया गया। रिंकू के आधार की टेंपर कापी को वाहन की रजिस्ट्रेशन के लिए आरटीए दफ्तर भेजा गया था।
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उधर, कांग्रेस के नेता और पूर्व विधायक सुशील रिंकू ने कहा कि उन्होंने मक्कड़ मोटर्स से एक साल पहले कार खरीदी थी। वहां अपना आधार कार्ड दिया था, लेकिन जो नंबर इस आधार कार्ड में लिखा है वह मेरा नहीं है, पर तस्वीर मेरी ही है। यह फर्जीवाड़ा है और इसकी जांच होनी चाहिए।
मक्कड़ मोटर्स के सेल्स जीएम यश ने कहा कि हमारे शोरूम से ऐसी गड़बड़ी नहीं हो सकती। हम सारे दस्तावेज देखने के बाद ही जानकारी आनलाइन फीड करते हैं। 10 लाख रुपये से कम कीमत की कार पर आधार कार्ड से काम चल जाता है, लेकिन कीमत उससे ज्यादा होने पर आधार व पैन कार्ड, दोनों जरूरी हैं।
फर्जीवाड़े के मामले जांच में पकड़े जाते हैं: सचिव आरटीए
सचिव आरटीए डा. रजत ओबराय ने कहा कि कभी-कभी दस्तावेज में फर्जीवाड़े के मामले सामने आते हैं और जांच में पकड़े जाते हैं। ऐसे मामलों में गाड़ी मालिक और डीलरों को नोटिस जारी करके अगली कार्रवाई के लिए केस स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को भेजा जाता है। कार्रवाई करना हमारे अधिकार में नहीं है। गलत जानकारी देने के मामले में सारी जिम्मेदारी डीलरों की ही होती है।
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