डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar Smart City Scam: समर्थ संवाद और डेली संवाद में लगातार स्मार्ट सिटी के घोटाले का पर्दाफाश किए जाने से नगर निगम मुख्यालय और स्मार्ट सिट के दफ्तर कोहराम मचा रहा है। अब एलईडी लाइट घोटाले में सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है। सूत्र बता रहे हैं कि ठेकेदार 6 करोड़ रुपए सरैंडर करना चाहता है। इसके लिए स्मार्ट सिटी के कुछ अधिकारी और नेता मिलकर स्क्रिप्ट तैयार कर रहे हैं।
मेयर जगदीश राजा द्वारा बनाई गई जांच कमेटी ने खुलासा किया है कि करीब 8 करोड़ रुपए का गबन अकेले स्ट्रीट लाइट प्रोजैक्ट में हुआ है। इसे लेकर स्मार्ट सिटी के सीईओ व निगम कमिश्नर दविंदर सिंह ने 22 जुलाई को नोडल अफसर रजनीश डोगरा को नोटिस भेज कर 15 दिन में जवाब मांगा था, लेकिन अभी तक यह जवाब कमिश्नर के पास नहीं पहुंचा है। अब इस मामले में नया खुलासा हुआ है कि संबंधित ठेकेदार करीब 6 करोड़ रुपए लौटाने की पेशकश कर रहा है।
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स्मार्ट सिटी एलईडी लाइट प्रोजेक्ट में हुई गड़बड़ी को उजागर करने के बाद भी इस पर अभी तक न तो सीईओ दविंदर सिंह कोई कार्ऱवाई कर पा रहे हैं और न ही मेयर जगदीश राजा कोई एक्शन ले रहे हैं। जिससे भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद हैं। जबकि मेयर द्वारा गठित पार्षदों की जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
कमेटी के सदस्य व पार्षद शमशेर सिंह खैहरा, सुशील शर्मा, राजविंदर सिंह राजा, बचनलाल, जसलीन सेठी, रौनी सिंह और जसपाल कौर भाटिया ने साफ कहा है कि एलईडी लाइट लगाने में करीब 8 करोड़ का गबन किया गया है। शमशेर सिंह खैहरा समेत सभी पार्षदों का आरोप है कि मेयर जगदीश राजा और कमिश्नर दविंदर सिंह आपस में मिलकर मामले को ठंडे बस्ते में डालना चाहते हैं। क्योंकि इसमें बड़े पैमान पर नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत है।
49 करोड़ रुपए वाला काम 57 करोड़ रुपए पहुंचा दिया
शमशेर सिंह खैहरा के मुताबिक जिस वक्त शहर में स्ट्रीट लाइट लगाने का टैंडर किया गया था, उस समय 49 करोड़ रुपए का टैंडर था। लेकिन अधिकारियों ने पहले 15 फीसदी और उसके बाद फिर 10 फीसदी रकम बढ़ाकर ठेकेदार पर पूरी मेहरबानी दिखाई, जिससे 49 करोड़ रुपए में होने वाला काम 57 करोड़ रुपए पहुंचा दिया।
शमशेर खैहरा व कमेटी के सदस्यों ने कहा है कि एलईडी लाइट प्रोजेक्ट के अनुबंध (एग्रीमेंट) में डार्क जोन खत्म करने और नई लाइटें लगाने की बात का कोई जिक्र नहीं है। शमशेर खैहरा के मुताबिक नगर निगम के नोडल अफसर एक्सईएन रहे मंजीत जौहल की रिपोर्ट है कि 44567 पुरानी एलईडी लाइटें उतारी गई, लेकिन यह लाइटें कहां गई, किसी को पता नहीं है। हैरानी की बात तो यह है कि ठेकेदार का दावा है कि उसने 72096 लाइटें लगा दी है। इस पूरे मामले में ठेकेदार को 6 करोड़ रुपए ज्यादा का भुगतान कर गया गया।
ठेकेदार को दोगुना फायदा पहुंचाया
शमशेर खैहरा ने कहा है कि हैरानीजनक बात तो यह है कि नगर निगम के पोल से 44 हजार लाइटें उतारी गई, लेकिन ठेकेदार ने 72 लाइट कैसे लगा दी? सबसे बड़ी बात तो यह है कि ठेकेदार ने कागजों में 27 हजार से ज्यादा लाइटें लगाने का दावा किया और निगम के नोडल अफसर ने उसका भुगतान भी कर दिया।
घपले की इंतहा यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि अधिकारियों ने ठेकेदार पर पूरी कृपा दिखाते हुए मेनटीनेंस के नाम पर 38 लाख रुपए का भुगतान कर दिया। जबकि ठेकेदार ने अभी तक कोई कंट्रोल रूम नहीं बनाया, न ही किसी तरह से लाइटों की नंबरिंग की गई। यही नहीं. आईडीसी किसी भी स्थिति में नहीं बढ़ सकती है, लेकिन 2.97 करोड़ रुपए की आईडीसी को बढ़ाकर 4.98 करोड़ कर दिया गया। यानि ठेकेदार को सीधे दोगुना फायदा पहुंचाया गया।
एलईडी लाइट के वाट में लगा दिया बट्टा
शमशेर खैहरा के मुताबिक नगर निगम के अंदर जो 11 नए गांव शामिल हुए हैं। उसमें एलईडी लाइट लगाने में जबरदस्त हेरफेर किया गया है। एग्रीमेंट के मुताबिक इन गांवों में 35 और 90 वाट की एलईडी लगानी थी, लेकिन वहां ठेकेदार ने 18 वाट, 35 वाट और 70 वाट की ही एलईडी लगाई। इसमें लाखों रुपए की धांधली की गई।
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