डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: जालंधर नगर निगम के अधिकारियों का एक और कारनामा सामने आया है। अधिकारियों ने एक मशहूर डाक्टर को करीब 1.50 करोड़ रुपए फायदा पहुंचाने के लिए सरकार को करीब 2 करोड़ रुपए की चपत लगाई है। यह कारनामा जालंधर निगम के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ है। इस पूरे खेल में जिला प्रशासन और डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्री सैंटर के अफसरों की भूमिका संदिग्ध है।
जालंधर के एक मशहूर पति-पत्नी डाक्टर ने निगम के एक पूर्व उच्च अधिकारी से सांठगांठ कर सरकार को करीब 2 करोड़ रुपए का चूना लगाया है। निगम के इस पूर्व उच्च अधिकारी ने बिल्डिंग ब्रांच के तीन अधिकारियों के साथ मिलकर एसी रिपोर्ट बनवाई, जिससे सरकार को चूना लगाया जा सके। सरकार को 1.50 करोड़ का चूना लगाने वाले इस पूर्व अधिकारी ने करीब 50 लाख रुपए उक्त डाक्टर दंपति से वसूली की। इसमें कहा गया कि बिल्डिंग ब्रांच के कुछ अधिकारियों को भी हिस्सा जाएगा।
टीपी स्कीम में CLU की माफी नहीं
जानकारी के मुताबिक सरकार के इनवेस्ट पंजाब योजना के तहत उस कामर्शियल इमारत को सीएलयू में माफी दे दी गई, जो टाउन प्लानिंग स्कीम के तहत आती थी। नियमानुसार टाउन प्लानिंग (TP) स्कीम के तहत आने वाली कामर्शियल इमारत बनने वाली जमीन का किसी तरह की सीएलयू माफ नहीं किया जा सकता है, लेकिन डाक्टर दंपति ने पूर्व अधिकारी के साथ सांठगांठ कर उक्त इमारत की बनती करीब 1.50 करोड़ रुपए माफ करवा लिए।
सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि उक्त दंपति ने साल 2019 में उक्त जमीन को सीएलयू करवाने को लेकर नगर निगम में आवेदन किया था, निगम अधिकारियों ने तब सीएलयू फीस करीब 1.50 करोड़ रुपए बनाकर जमा करवाने को लेकर पत्र लिखा था। लेकिन तब डाक्टर दंपति ने न तो सीएलयू फीस जमा करवाई और न ही अस्पताल का निर्माण शुरू करवाया।
निगम के पूर्व उच्च अधिकारी ने खाए 50 लाख रुपए
इस दौरान डाक्टर दंपति के एक मित्र डाक्टर ने लिंक रोड पर अपना एक अस्पताल बनाया और नगर निगम से सीएलयू माफ करवा लिया, क्योंकि ये अस्पताल टाउन प्लानिंग (TP) स्कीम के बाहर था। इसकी जानकारी उक्त डाक्टर दंपति को लगी, तो डाक्टर दंपति ने 1.50 करोड़ रुपए बचाने को सोचा और निगम के तत्कालीन उच्च अधिकारी से मिले। उक्त अधिकारी ने उन्हें 1.50 करोड़ माफी के बदले 50 लाख रुपए कैश मांगे। जिस पर बात डन हो गई।
निगम के उक्त अधिकारी ने इनवेस्ट पंजाब की तहत डाक्टर दंपति से सीएलयू फीस माफी के लिए अप्लाई करवाई। तब सूबे में कांग्रेस की सरकार थी, उक्त अधिकारी ने सरकार से लेकर चंडीगढ़ बैठे अधिकारियों से पैरवी करवा किसी तरह से सीएलयू माफ करवा लिया। हालांकि इससे पहले डीटीपी और चंडीगढ़ बैठे अन्य अधिकारी इस पर साइन नहीं कर रहे थे।
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उक्त अधिकारी के कहने पर डाक्टर दंपति ने प्लाट का खसरा नंबर किसी और स्थान का डाला, जिससे उन्हें सीएलयू की माफी मिल सके। डाक्टर दंपति यहीं गच्चा खा गए। क्योंकि खसरा नंबर किसी अलग जगह का है, जबकि अस्पताल कहीं और बन रहा है। इस सबके बीच उच्च अधिकारी औऱ डाक्टर दंपति ने मिलकर सरकार को करीब 2 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया। हालांकि इस पूरे खेल में डाक्टर दंपति को जहां डेढ़ करोड़ की बचत हुई, वहीं निगम के पूर्व उच्च अधिकारी को 50 लाख रुपए की कमाई।
विजीलैंस से जांच की मांग
इस संबंध में डेली संवाद ने पूरे मामले की तह तक खोजबीन की। फिलहाल डाक्टर दंपति से उनका पक्ष पूछा गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। वहीं, आरटीआई एक्टिविस्ट राज शर्मा ने कहा है कि इस मामले में निगम के पूर्व उच्च अधिकारी और बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारियों के खिलाफ विजीलैंस में शिकायत करेंगे और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करेंगे।
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