डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar News: स्मार्ट सिटी, एलईडी लाइट के बाद अब जालंधर नगर निगम में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। नगर निगम में बिल्डिंग ब्रांच में पिछले कई साल से ‘चालान घोटाला’ किया जा रहा है। साल 2015 से लेकर अब तक हजारों की गिनती में चालान काटे गए हैं। इसकी तुलना में जुर्माना वसूली और बिल्डिंग गिराने की कार्रवाई बेहद कम हुई। इसकी जांच शुरू हो गई है।
जानकारी के मुताबिक प्राथमिक जांच में सामने आया कि 7 साल में ब्रांच ने 11300 इमारतों को करीब 22600 चालान किए। इन चालानों से निगम को कम फायदा हुआ है। इसी कारण नगर निगम कमिश्नर दविंदर सिंह ने ब्रांच से साल 2015 से लेकर अब तक की कार्रवाई की डिटेल मांगी है। ब्रांच यह डिटेल बनाने में जुटा हुआ है। इस बीच निगम की स्टोर ब्रांच ने निगम कमिश्नर दविंदर सिंह को एक रिपोर्ट भेजी है।
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इसमें यह बताया गया है कि साल 2015 से लेकर साल 2021 तक बिल्डिंग ब्रांच को 226 चालान बुक जारी की गई हैं। इनमें सेक्शन 269-1 की 113 और सेक्शन 270-1 की भी 113 ही चालान बुक है। हर चालान बुक में 100 चालान होते हैं। इस हिसाब से 11 हजार 300 इमारतों के चालान काटे गए हैं।
सेक्शन 269-1 के तहत अवैध निर्माण रोकने के लिए नोटिस दिया जाता है और काम न रुकने पर सेक्शन 270-1 के तहत इमारत गिराने का नोटिस दिया जाता है। इस रिपोर्ट के अनुसार इमारत गिराने का नोटिस जारी करने के बाद न तो निगम को टैक्स मिला और इमारत गिराई गई। ऐसे में चालान के बाद क्या कार्रवाई हुई, किसी को कोई जानकारी नहीं है। इन चालान में बड़ी गिनती में कामर्शियल इमारतें शामिल हैं।
इंस्पैक्टर से लेकर एटीपी औऱ एमटीपी की मिलीभगत
बिल्डिंग ब्रांच अवैध निर्माण के चालान तो काटती है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती। अब इन चालानों पर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी गई है। बताया जा रहा है कि नाममात्र इमारतों पर ही जुर्माना लगाया गया है और गिनती की इमारतों को गिराने की कार्रवाई की गई है। ज्यादातर चालान सिर्फ खानापूर्ति के तौर पर दिए गए हैं। इसमें ब्रांच के अधिकारियों और अवैध निर्माण करने वाले बिल्डरों की मिलीभगत सामने आ सकती है।
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