चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब में विशेष सत्र बुलाकर विश्वास मत पेश करने की तैयारी कर रही आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार को झटका लगा है। राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने उस विशेष सत्र को रद्द कर दिया है। तर्क दिया गया है कि सरकार खुद इस तरह से विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकती है। इसके लिए संविधान में कोई प्रावधान नहीं दिया गया है।
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राज्यपाल ने जारी बयान में कहा है कि इस मामले में मुझे नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा की तरफ से रिप्रजेंटेशन मिला था जिसमें कहा गया था कि इस तरह से विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विधानसभा के स्पेशल सेशन को बुलाए जाने का कोई प्रावधान नियमों में नहीं है।
इसके बाद एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सत्यपाल जैन से कानूनी सलाह ली गई जिसमें यह पाया गया कि इस तरह का कोई प्रावधान विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर नहीं है। इसलिए मैं विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर दिए गए अपने आदेश वापस लेता हूं।
Punjab Governor withdraws orders calling for Assembly session for a “confidence motion” called by Punjab government due to “absence of specific rules” to do so. pic.twitter.com/k9uKb8ukSe
— ANI (@ANI) September 21, 2022
पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार 22 सितंबर को विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाकर विश्वास मत हासिल करना चाहती थी। पंजाब AAP ने आरोप लगाया था कि भाजपा सूबे की सरकार गिराने की कोशिश कर रही है। हालांकि अब राज्यपाल ने विशेष सत्र को रद्द कर दिया है।
राज्यपाल के आदेश वापस लेने के बाद आम आदमी पार्टी भड़क गई है। पार्टी ने कहा है कि यह लोकतंत्र की हत्या का एक और नमूना है। प्रताप बाजवा अमित शाह के निर्देश पर काम कर रहे हैं। राज्यपाल को इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है और यह भारतीय लोकतंत्र में शर्मनाक घटना है।
जनतंत्र खत्म हो जाएगा- केजरीवाल
गवर्नर के फैसले के बाद अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, राज्यपाल कैबिनेट द्वारा बुलाए सत्र को कैसे मना कर सकते हैं? फिर तो जनतंत्र खत्म है। दो दिन पहले राज्यपाल ने सत्र की इजाज़त दी। जब ऑपरेशन लोटस फ़ेल होता लगा और संख्या पूरी नहीं हुई तो ऊपर से फ़ोन आया कि इजाज़त वापिस ले लो। आज देश में एक तरफ़ संविधान है और दूसरी तरफ़ ऑपरेशन लोटस।
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117 सीटों वाली पंजाब विधानसभा में आम आदमी पार्टी के पास 92 विधायक हैं और उसे पूर्ण बहुमत हासिल है। वहीं कांग्रेस के 18 विधायक हैं। शिरोमणि अकाली दल के तीन और भाजपा के केवल दो विधायक हैं। भगवंत मान ने कहा था कि लोगों ने उनकी सरकार को बहुमत दिया है लेकिन कुछ ताकतें दौलत के दाम पर उनके विधायकों को लुभाने में लगी हुई हैं। इसी वजह से विशेष सत्र बुलाकर भरोसा हासिल किया जाएगा।
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