सीतलवाड़ के साथ पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार (सेवानिवृत्त) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट भी आरोपी हैं। चार्जशीट में दावा किया गया है कि आरोपियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मौत की सजा दिलाने की साजिश रची थी। सरकार का हिस्सा होने के बावजूद आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट ने तीस्ता के लिए जाली दस्तावेज बनाए।
आरोपी अपना राजनीतिक करियर खत्म कर नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना चाहता था। इसके लिए फर्जी दस्तावेज और हलफनामे तैयार करने में वकीलों की फौज लगी हुई थी। दंगा पीड़ितों के बयानों में हेराफेरी की गई और उनसे मनगढ़ंत बयानों पर हस्ताक्षर करवाए गए। पीड़ित इसे समझ नहीं पाए क्योंकि बयान अंग्रेजी में था।
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SIT ने दावा किया कि आरबी श्रीकुमार ने गवाह को धमकी दी थी कि अगर उसने तीस्ता का समर्थन नहीं किया, तो मुसलमान आपके खिलाफ हो जाएंगे और आपको आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाया जाएगा। अगर हम आपस में ही लड़ने लगे तो दुश्मनों को फायदा होगा और मोदी को भी।
गवाह का किया था अपहरण
SIT के अनुसार, सीतलवाड़ कई कांग्रेस नेताओं के साथ दंगा पीड़ितों के लिए बनाए गए शिविरों में गए और उन्हें यह विश्वास दिलाने के लिए गुमराह किया कि उन्हें गुजरात में न्याय नहीं मिलेगा। टीम ने कहा कि वे पीड़ितों के साथ छेड़छाड़ करते हैं और अपने मामलों को राज्य के बाहर की अदालतों में ले जाते हैं। इसके साथ ही SIT ने आरोप लगाया है कि पूर्व आईपीएस अधिकारी ने एक गवाह का अपहरण किया था। क्योंकि गवाह ने सीतलवाड़ द्वारा तैयार हलफनामे पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। अपहरण के बाद गवाह को झूठे हलफनामे पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था।
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