डेली संवाद, चंडीगढ़। Dadasaheb Phalke Award: हिंदी सिनेमा की मशहूर अदाकारा आशा पारेख (Asha Parekh) को इस साल दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। यह अवॉर्ड 30 सितंबर को दिया जाएगा। हिंदी सिनेमा में अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा। इसकी घोषणा केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने की है। आशा पारेख ने कई साल तक हिंदी सिनेमा पर राज किया और वे अपने जमाने की टॉप एक्ट्रेस रही है। उन्होंने फिल्मों में कई अलग-अलग तरह के किरदार निभाए। वे कटी पतंग, तीसरी मंजिल, आया सावन झूम के, लव इन टोकियो जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में नजर आईं।
ये भी पढ़ें: जालंधर के करोड़पति का कारनामा, केएल सहगल मैमोरियल के नाम पर सरकारी जमीन हथियाई
आशा पारेख अब फिल्मों में काम नहीं करती हैं. फ़िल्मों में उन्होंने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम करना शुरू किया था। हिंदी सिनेमा में वो 1952 से 1995 के बीच सक्रिय रहीं। करीब 79 साल की आशा पारेख ने शादी नहीं की।साल 1992 में भारत सरकार मे पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा था। 2 अक्टूबर 1942 को पैदा हुईं आशा पारेख ने अपने करियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में बेबी आशा पारेख नाम से की थी।
ये हमारे लिए गर्व का विषय है कि इस वर्ष दादा साहब फाल्के पुरस्कार अभिनेत्री आशा पारेख को मिल रहा है। उन्होंने 10 वर्ष की आयु में फिल्मों में काम करना शुरू किया। उन्होंने 95 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है: केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर pic.twitter.com/yEkQW94io1
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 27, 2022
16 साल की उम्र में उन्होंने एक नायिका के रूप में अपनी शुरुआत की। लेकिन उन्हें अभिनेत्री अमीता के लिये विजय भट्ट की गूँज उठी शहनाई (1959) से खारिज कर दिया गया, क्योंकि फिल्म निर्माता ने दावा किया था कि वह प्रसिद्ध अभिनेत्री बनने के काबिल नहीं थी। ठीक आठ दिन बाद, फिल्म निर्माता सुबोध मुखर्जी और लेखक-निर्देशक नासिर हुसैन ने उन्हें शम्मी कपूर के विपरीत दिल देके देखो (1959) में नायिका के रूप में लिया। इसने उन्हें एक बड़ा सितारा बना दिया।
ये भी पढ़ें: LPU में छात्र ने की आत्महत्या, सैकड़ों छात्र सड़क पर उतरे
दादा साहब फ़ाल्के पुरस्कार भारत में सिनेमा का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है। हर साल ये पुरस्कार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह में दिया जाता है। यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा में अभूतपूर्व योगदान के लिए दिया जाता है। इस अवॉर्ड में स्वर्ण कमल मेडल, शॉल और दस लाख रुपये दिए जाते हैं। पहला दादा साहब फाल्के पुरस्कार अभिनेत्री देविका रानी को दिया गया था. उन्हें भारतीय सिनेमा की पहली महिला कहा जाता है।
शहीद भगत सिंह के नाम पर हुआ चंडीगढ़ एयरपोर्ट, PM मोदी की घोषणा के बाद पंजाब में सियासत तेज
https://youtu.be/Bm1WDJ3ODIg