Light Combat Helicopters: वायुसेना में शामिल हुए हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, सभी मौसम में हमला करने की है क्षमता

Daily Samvad
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डेली संवाद, जोधपुर। Light Combat Helicopters: पाकिस्तान और चीन से जारी विवाद के बीच भारतीय वायुसेना की ताकत में और इजाफा हो गया है। आज भारतीय वायुसेना को स्वेदशी हल्के हमलावर हेलिकॉप्टर्स (Light Combat Helicopters – LCH) मिल गए हैं। जोधपुर एयरबेस में हुए इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, देश के नए सीडीएस जनरल अनिल चौहान और चीफ ऑफ एयर स्टाफ चीफ मार्शल वीआर चौधरी भी मौजूद रहे। सर्वधर्म प्रार्थना के बाद 10 LCH हेलिकॉप्टर्स को भारतीय वायुसेना में शामिल कर दिया गया। LCH को को प्रचंड नाम दिया गया है।

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राजनाथ ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि LCH को नवरात्र से अच्छा समय और राजस्थान की धरती से अच्छी जगह नहीं हो सकती है। वीरों की धरती से नवरात्र में इसकी शुरुआत हुई। LCH के शामिल होने से वायुसेना की शक्ति बढ़ेगी। सारी शक्ति का बड़ा सूचक है LCH। देश की स्वदेशी तकनीक पर गर्व है। LCH को लेकर बोले विजय रथ तैयार है। सारी चुनौतियों पर LCH खरा उतरा है। दुश्मनों को आसानी से चकमा दे सकता है। इसी के साथ ही उन्होंने कहा कि आज LCH का आगमन इस बात का प्रतीक है कि देश जितना भरोसा भारतीय वायु सेना पर करता है, भारतीय वायु सेना भी उतना ही भरोसा स्वदेशी साजो-सामान पर करता है।

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इन हेलीकॉप्टरों को सार्वजनिक उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) ने विकसित किया है और इसे ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात करने के लिए प्राथमिक रूप से डिजाइन किया गया है। सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लद्दाख और रेगिस्तानी क्षेत्र में हेलिकॉप्टरों को बड़े पैमाने पर तैनात किया जाएगा। भारतीय वायुसेना ने पिछले तीन-चार सालों में चिनूक, अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर और अब एलसीएच को शामिल करने के साथ कई हेलीकॉप्टरों को अपने बेड़े में शामिल किया है।

मिली जानकारी के अनुसार लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर में गजब की चुस्ती-फुर्ती, गतिशीलता देखने को मिलेगी। ऊंचे स्थानों में वार करने के लिए इसका रेंज बढ़ाया गया है। यही नहीं LCH सभी मौसम में हमला करने की तकनीक से लैस है। इसका मतलब यह है कि कोहरा, बारिश जैसे मौसम की जटिलाताओं से इसकी मारक क्षमता पर कोई असर नहीं कोई असर नहीं पड़ेगा ।

चार हार्डप्वाइंट्स में रॉकेट, मिसाइल या बम फिट किए जा सकते

कॉम्बैट रेंज 550 किलोमीटर है। यह एक बार में लगातार सवा तीन घंटे उड़ सकता है। इस हेलिकॉप्टर को ध्रुव हेलिकॉप्टरों से विकसित किया गया है। इस हेलिकॉप्टर की जरुरत 1999 में करगिल युद्ध के दौरान महसूस हुई थी। लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स पर एक 20 mm की M621 कैनन या फिर नेक्स्टर टीएचएल-20 टरेट गन लगा सकते है। चार हार्डप्वाइंट्स में रॉकेट, मिसाइल या बम फिट किए जा सकते हैं।

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