डेली संवाद, पंजाब। Global Dignity Day: पुष्पा गुजराल साइंस सिटी ने विज्ञान प्रसार के सहयोग से “विश्व गौरव दिवस” विषय पर “विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से गौरव” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इस संगोष्ठी में 250 से अधिक छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया। इस वर्ष के विश्व गौरव दिवस समारोह का विषय “आत्म-गौरव, उत्साह, कड़ी मेहनत और उपलब्धि की भावना” है।
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इस अवसर पर उपस्थित छात्रों को संबोधित करते हुए साइंस सिटी के डायरेक्टर जनरल डॉ. नीलिमा जेरथ ने कहा कि गरिमा इस विश्वास को दर्शाती है कि सभी का समान मूल्य है और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व गौरव दिवस युवाओं को शिक्षित और प्रोत्साहित करने की दिशा में एक पहल है, जिसमें काम की प्रकृति सहित लिंग, नस्ल और काम की प्रकृति सामाजिक विश्लेषण में गरिमा लाने की ओर ले जाती है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से सेवाओं और वस्तुओं तक समान पहुंच के साथ, जीवन को आरामदायक और समृद्ध बनाने के अवसरों के साथ समानता लाई जा सकती है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी समाज में कैसे योगदान करते हैं इसका सार नए ज्ञान का निर्माण है। इस ज्ञान का उपयोग मानव जीवन के सुख को बढ़ाने और समाज के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए किया जाना चाहिए।
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विज्ञान प्रसार के डायरेक्टर डॉ. नकुल पाराशर इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक मनुष्य और अन्य प्राणियों को स्वतंत्रता और सम्मान के साथ जीने का समान अधिकार हो। सभी के लिए गरिमापूर्ण जीवन मनुष्य का प्राथमिक उत्तरदायित्व होना चाहिए।
यह तभी संभव है जब विज्ञान और उसके अनुप्रयोगों का उपयोग समाज के लाभ के लिए किया जाए। आज के युवा बदलाव के वाहक बन सकते हैं और आगे बढ़ने के लिए रोल मॉडल बन सकते हैं। करुणा, समझ और सहनशीलता के साथ मनुष्य की भूमिका निभाने में उनकी मदद करना हम पर निर्भर है।
इस अवसर पर बोलते हुए विज्ञान प्रसार के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. बी. के त्यागी ने कहा कि आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी मानव गरिमा में एक बहुमूल्य योगदान दे रही है, जिससे हम बीमारियों और अक्षमताओं को कम करके एक स्वस्थ और सुखी जीवन जी सकते हैं। यह सोच और विचारों के लिए नए अवसर और रास्ते खोलता है। उन्होंने कहा कि मानव गरिमा की रक्षा और सुरक्षा के लिए कई तकनीकों का विकास किया गया है। चूंकि जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान आनुवंशिक दोषों को ठीक करने के लिए जीन थेरेपी पर केंद्रित है।
इसी तरह, नैनो टेक्नोलॉजी का दावा है कि स्वास्थ्य की निगरानी के लिए छोटी मशीनों का इस्तेमाल किया जा सकता है, यहां तक कि हमारे शरीर की सबसे छोटी कोशिकाओं में भी हेरफेर किया जा सकता है। इसके अलावा, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और रोबोट गैर-कामकाजी अंगों वाले लोगों की गतिशीलता को बढ़ा सकते हैं।
इस अवसर पर साइंस सिटी के डायरेक्टर डॉ. राजेश ग्रोवर भी मौजूद थे, उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नए आविष्कार हमारी दैनिक समस्याओं को हल कर सकते हैं। इनसे जहां शिक्षा में सुधार किया जा सकता है, वहीं हमारे जीवन की गुणवत्ता में भी वृद्धि हो सकती है और साथ ही गरिमा बनी रहेगी।

इस अवसर पर आयोजित कैप्शन लेखन प्रतियोगिता में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की रश्मि ने प्रथम, एस पी पी एस स्कूल बेगोवाल की सुप्रीत कौर ने द्वितीय व जेम्स कैंब्रिज स्कूल बटाला के मानवोत्सव सिंह बेदाशन ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
सेमिनार के दौरान साइंस सिटी ने विज्ञान एवं कला प्रतियोगिता के विजेता छात्रों को पुरस्कार भी बांटे। पहला पुरस्कार एचएमवी कॉलेज जालंधर के जंगचन डोलर को, दूसरा उसी कॉलेज की प्रीति गुप्ता को और तीसरा एसपीपीएस कॉन्वेंट स्कूल के सनमदीप सिंह को दिया गया।
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