डेली संवाद, नई दिल्ली। Red Fort Attack: सुप्रीम कोर्ट ने साल 2000 में हुए लाल किले पर हमले के दोषी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने मोहम्मद आरिफ की याचिका को ख़ारिज कर दिया गया है। इस मामले में निजी अदालत ने 2005 में आरिफ को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। सुप्रीम सपोर्ट ने 2016 को इस मामले की सुनवाई करते हुए फांसी की सजा को बरक़रार रखा था।
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चीफ जस्टिस यूयू ललित और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की एक पीठ ने कहा कि उसने ‘इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड’ पर विचार करने के आवेदन को स्वीकार किया है। पीठ ने कहा, ‘‘हम उस आवेदन को स्वीकार करते हैं कि ‘इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड’ पर विचार किया जाना चाहिए। वह दोषी साबित हुआ है। हम इस अदालत द्वारा किए गए फैसले को बरकरार रखते हैं और पुनर्विचार याचिका खारिज करते हैं।’’
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लाला किले पर आंतकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने 22 दिसंबर 2000 को आतंकवादी हमला किया था। उस हमले में दो सैनिक समेत तीन लोग मारे गए थे। भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में लालकिला में घुसपैठ करने वाले दो आतंकवादी भी मारे गए थे। लाल किला हमले के मामले में 31 अक्टूबर 2005 को निचली अदालत आरिफ को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।
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