डेली संवाद, पंजाब। Fake Encounter: साल 1993 के एक फर्जी एनकाउंटर से जुड़े मामले में सीबीआई (CBI) की विशेष अदालत ने दो पूर्व पुलिस कर्मियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। पूर्व थानेदार शमशेर सिंह और जगतार सिंह को धारा 302, 120 व 218 के तहत दोषी ठहराया गया था। आज दोनों को सजा सुनाई गई। इसके साथ ही साथ ही एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
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केस के ट्रायल दौरान दो आरोपितों पूर्ण सिंह (तत्कालीन एसएचओ) व जगीर सिंह (तत्कालीन एएसआई) की मौत हो चुकी है। तरनतारन की पुलिस ने तीस साल पहले दावा किया था कि 15 अप्रैल 1993 को सुबह साढ़े चार बजे जब वह उबोके निवासी हरबंस सिंह को हथियारों की रिकवरी के लिए जा रहे थे, तो तीन आतंकियों ने पुलिस पर हमला कर दिया।
इस दौरान पुलिस ने अपने बचाव की कोशिश की। क्रॉस फायरिंग में हरबंस सिंह व एक अन्य अज्ञात आतंकी की मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने 15 अप्रैल 1993 को थाना सदर तरनतारन में अज्ञात आतंकवादियों के खिलाफ आइपीसी की धारा 302, 307, 34, आर्म्स एक्ट व टाडा एक्ट की धारा (5) के तहत मामला दर्ज किया था। यह सारा मामला मृतक हरबंस के भाई परमजीत सिंह को संदिग्ध लगा तो उसने कानूनी जंग लड़ना शुरू कर दी।
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फिर यह मामला सीबीआई तक पहुंच गया और सीबीआई ने कार्रवाई करना शुरू कर दी। सीबीआई की जांच में यह कहानी फर्जी पाई गयी। जांच के आधार पर 25 जनवरी 1999 को केस दर्ज किया गया था। इसके बाद 1999 में केस की पड़ताल के बाद सीबीआई ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया। साथ ही केस की जांच शुरू हो गई।
पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आइपीसी की धारा 302, 364 व 34 के तहत सीबीआइ ने मामला दर्ज किया। इस मामले में 8 जनवरी 2002 को आरोपित तत्कालीन एसएचओ तरनतारन पूर्ण सिंह, सब इंस्पेक्टर शमशेर सिंह, एएसआई जगीर सिंह व एएसआई जगतार सिंह के खिलाफ सजा योग अपराध के लिए अदालत में चार्जशीट दायर की थी। तरनतारन के थाना सदर के तत्कालीन प्रभारी SI पूर्ण सिंह, ASI जागीर सिंह और ASI जगतार, तत्कालीन हेड कांस्टेबल शमशेर सिंह ने 1993 में फर्जी पुलिस एनकाउंटर किया था।
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