डेली संवाद, नई दिल्ली। Supreme Court: बढ़ती आबादी को काबू करने के उपाय के लिए दो बच्चों की नीति का आदेश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि क्या यह ऐसा मुद्दा है जिसमें हमें दखल देना चाहिए? और विधि आयोग किस प्रकार की रिपोर्ट दे सकता है?
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जनसंख्या वृद्धि कोई ऐसी चीज नहीं है जो एक दिन रुक जाएगी। हम धीरे-धीरे स्थिरीकरण की ओर बढ़ रहे हैं। सुप्रीम कहा कि यह सरकार का काम है और सरकार कर भी रही है। याचिकाकर्ता बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने अलग-अलग दलीलों और तर्कों से कोर्ट को इस मसले की पेचीदगी बताने की कोशिश की। लेकिन कोर्ट के आगे उनकी एक ना चली। कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करने और वापस लेने योग्य करार दिया।
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जनसंख्या नियंत्रण के कारगर उपाय की मांग के मामले में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस ए एस ओक की पीठ के सामने याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि लॉ कमीशन रिपॉर्ट दाखिल करे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लॉ कमीशन इस पर कैसे रिपोर्ट तैयार कर सकता है? आबादी विस्फोट की वजह से हो रहे नुकसान पर उपाध्याय की दलीलों के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट इसमें क्या कर सकता है? यह एक सामाजिक मुद्दा है। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं।
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