डेली संवाद, उत्तर प्रदेश। Uttar Pradesh News: धर्मगुरुओं ने समाज को हमेशा नई दिशा दी है समाज को बदल कर अच्छे मार्ग पर ले जाने का प्रयास किया जिससे अच्छे प्रमाण भी मिले हैं। उक्त विचार भाजपा जिला कार्यसमिति सदस्य घनश्याम जयसवाल ने नगर पंचायत तरबगंज में भया पुरवा में शादी विवाह अन्य खुशहाली के उपलक्ष में बजाए जाने वाले डीजे पर प्रतिबंध लगाने वाले मौलवीओ को सम्मानित करते हुए अपने विचार व्यक्त किए। घनश्याम जायसवाल ने कहा आधुनिक युग में शादी समारोह ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले डीजे का चलन काफी बढ़ गया है।
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जिसके कारण अलग अलग प्रकार की बीमारियां पैदा होती है। डीजे के गीत को लेकर विवाद भी हुआ करते है। इसे चलन को बंद करने की आवश्यकता थी। लेकिन कोई पहल नहीं कर पा रहा था। नगर पंचायत तरबगंज की रामापुर भया पुरवा के मौलवी मोहम्मद नसीम ने साहस दिखाते हुए गांव वालों को बताया डीजे से नाना प्रकार की बीमारियों का जन्म होता है। वही ध्वनि प्रदूषण से दिल के मरीजों के लिए यह कष्टकारी होता है । उन्होंने डीजे पर प्रतिबंध लगाकर एक अच्छी पहल कर समाज को एक नई दिशा दी है।
डीजे प्रतिबंध बात को मानते हुए गांव में मोहम्मद शकीर ओली मोहम्मद ने अपने यहां शादियों में डीजे ना बजा मौलवी साहब के निर्णय का स्वागत कर समाज में मिसाल पेश की है । तथा गांव के ही बबलू ननकान रफीउल्लाह खान ने अपने रिश्तेदारों से शादी में डीजे ना लाने का अनुरोध किया जिससे वह लोग भी मान गए हैं।जिसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ता घनश्याम जायसवाल ने मोलवी मोहम्मद नसीम सहित मोहम्मद सफीर ,ओली मोहम्मद, ननकन , बबलू, रफीउल्लाह खा भी सम्मान देकर उनका हौसला अफजाई किया।
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समाज के प्रत्येक लोगों को ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले डीजे को रोकने में सहयोग करना होगा तभी अच्छा समाज बनेगा। घनश्याम जायसवाल ने तेज ध्वनि से होने वाली बीमारियों के प्रति आग्रह करते हुए बताया ऊंची ध्वनि मस्तिष्क में तनाव पैदा करती है, चिड़चिड़ापन बढ़ता है, रक्तचाप बढ़ जाता है।खून में शर्करा बढ़ने लगती है, हृदय की धड़कन तेज हो जाती है, कार्यक्षमता घटती है और एकाग्रता नष्ट हो जाती है। तीव्र ध्वनि की वजह गर्भपात की शिकायत बढ़ती है तथा मानसिक रूप से विकलांग बच्चे पैदा हो सकते हैं।
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है हमारे घर में दिन के समय अधिकतम 25 से 30 तथा रात्रि में 20 से 25 डेसीबल तक ध्वनि होनी चाहिए। लेकिन, वाहनों के प्रेशर हॉर्न तथा मशीनों की आवाज से भी ध्वनि प्रदूषण की तीव्रता बढ़ जाती है। ऐसे में डीजे की तीव्र ध्वनि के पास खड़े रहना सेहत के लिए भयानक खतरा पैदा करता है। जबकि डीजे का सामान्य आवाज 580 डेसीबल होता है। इससे कान की परत फट सकती है।
मौलवी मोहम्मद नसीम ने बताया कि तेज ध्वनि ज्ञानेंद्रियों को डीजे का साउंड बुरी तरह प्रभावित करता है। मस्तिष्क के तंत्र को बाधित करता है। इसका असर हृदय व रक्त प्रवाह पर पड़ता है। सबसे ज्यादा नुकसान गर्भ में पल रहे छोटे बच्चे एवं पांच वर्ष के बच्चों पर ध्वनि प्रदूषण से होगा। 100 डेसीबल वाले हर प्रकार की आवाज भयंकर खतरा उत्पन्न कर सकता है। जो पांच वर्षो के बाद पता चलेगा कि आज का बच्च जब सुनना बंद कर देगा तब लोगों का होश उड़ जाएगा।
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