डेली संवाद, अमृतसर। Punjab News: मुस्लिम वक्फ-बोर्ड द्वारा नाजायज व मनमाने ढंग से गुरुनगरी अमृतसर के कई इलाकों में नोटिस भेज कर उन्हें उनकी जमीनों को खाली करने अथवा इन जमीनों पर रहने के लिए वक्फ-बोर्ड को किराया देने को कहा गया है। वक्फ-बोर्ड द्वारा इन सब इलाकों के पीड़ित लोगों को न्याय व हक दिलाने के लिए विरसा संभाल मंच पंजाब ने वक्फ-पीड़ित संघर्ष मोर्चा, अमृतसर का गठन किया।
जिसके नेतृत्व में संत समाज के मार्ग दर्शन व धार्मिक समाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने पीड़ित समाज के सैकड़ों परिवारों को साथ लेकर आज श्री दुर्ग्याणा मन्दिर परिसर में विशाल जन सभा आयोजित की। जिसमें अंतर्राष्ट्रीय समाज सेविका राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित स्वराज ग्रोवर विशेष रूप से उपस्थित हुई।
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कार्यक्रम में पहुंचे संत समाज का स्वागत करते हुए विरसा संभाल मंच पंजाब के अध्यक्ष राम कुमार व्यास ने कहा कि अमृतसर में वक्फ बोर्ड के पीड़ितों को इन्साफ दिलाने के लिए वक्फ पीड़ित संघर्ष मोर्चा, अमृतसर का गठन किया गया है, जिसके संयोजक डॉ. राकेश शर्मा को नियुक्त किया गया है।
वक्फ पीड़ित संघर्ष मोर्चा, अमृतसर के सरंक्षक की जिम्मेवारी श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर जी महाराज बालाजी धाम छेर्रहाटा – श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर मनकामनेश्वर पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी मनोज जी महाराज जी, परम पूज्यनीय मंहत प्रताप दास जी बेरी वाले उदासीन अखाड़ा, मंहत स्वतंत्र पाल सिहं नामधारी सम्प्रदाय, जत्थेदार बाबा मेजर सिंह जी तथा बाबा बलदेव सिंह जी को दी गई है।
वक्फ बोर्ड कर रहा है परेशान
प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि वक्फ बोर्ड द्वारा नाजायज व मनमाने ढंग से गुरुनगरी अमृतसर के झब्बाल रोड, शहीद उधम सिंह नगर, इंदिरा कॉलोनी, बंगाली बस्ती, गुरबख्श नगर, डैमगंज, नवां कोट, हरिपुरा, इस्लामाबाद, मच्छी मंडी, रत्तन सिंह चौक, बेरी गेट, लोहगढ़, पुरानी सब्जी मंडी, पवन नगर (बटाला रोड), तबेला (कटड़ा सफेद), जड़ाऊ गली, शरीफपूरा, बाला चक्क (तरनतारन रोड), गाँव झंड पीर (राजासांसी) आदि जगहों पर दशकों से बसे लोगों को वक्फ बोर्ड द्वारा नाजायज तौर पर मनमानी करते हुए नोटिस भेजा जा रहा है।
वक्फ बोर्ड द्वारा धक्केशाही कर अमृतसर में कई सम्पतियों पर बिना मालिकाना हक दिखाए दावा (यह जमीन कब और कैसे आई जानकारी के बिना) किया गया है, जिसके कारण 1947 में आजादी के बाद पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आए लोगों को इन इलाकों में उनकी पाकिस्तान में छूटी जमीनों के बदले यहाँ बसने के लिए जमीने और घर दिए गए थे। वक्फ-बोर्ड द्वारा इन इलाकों में बसे हुए हजारों परिवारों को बेघर करने का साजिशन व जबरन प्रयास किया जा रहा है, जो कि किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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उदासीन अखाड़ा के महंत प्रताप दास जी ने कहा कि वर्ष 1968 में तत्कालीन भारत सरकार ने भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय पाकिस्तान जाने वाले लोगों की मौजूदा जमीन (जायदाद) को दुश्मन की जमीन घोषित कर दिया था और वह सारी जमीन भारत सरकार की हो गई थी, फिर भी इस जमीन पर वक्फ-बोर्ड अपनी दखलांदाजी क्यों, कैसे और किस अधिकार से कर रहा है?
महंत स्वतंत्र पाल सिंह जी ने कहा कि कसटोडियन और दुश्मन की जमीन (ENEMY PROPERTIES ) भारत सरकार की है, फिर भी उन जमीनों का किराया वक्फ-बोर्ड वहां पर तत्कालीन भारत सरकार द्वारा बसाए गए लोगों को डरा कर जबरदस्ती व गैरकानूनी ढंग से वसूल रहा है, जबकि वक्फ-बोर्ड के पास इन जमीनों के मालिकाना कानूनी अधिकार नही है।