डेली संवाद, छतरपुर। Bageshwar Dham: छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री दिव्य दरबार और कथित चमत्कारों को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। उन्हें तारीफ के साथ ही आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ रहा है। बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री चुटकिया में उनके पास आए भक्तों की समस्यााओं का निराकरण कर देते है।
बागेश्वर धाम में रोजाना लाखों की भीड़ उनके प्रवचन सुनने के लिए पहुंचती है। महाराज धीरेन्द्र शास्त्री तो वैसे हिुदू धर्म के अनुयायी है लेकिन उकना सच्चा मित्र मुस्लिम है। जी हां सुनने में आपको थोड़ा अजीब जरूर लगेगा, लेकिन यह सच है यह बात खुद महाराज धीरेन्द्र शास्त्री ने बताई है। बागेश्वर धाम के संत धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने खुद अपने एक सच्चे मित्र के बारे में बताया।
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उन्होंने बताया कि शेख मुबारक नाम का एक शख्स उनका सच्चा मित्र है। धीरेन्द्र शास्त्री ने बताया कि वह मुस्लिम जरूर है, लेकिन वह रोज सुंदरकांड का पाठ करता है। उसके परिवार में करीब 60 सालों से राम नाम का कीर्तन भी होता है। दोनों की दोस्ती को 12 साल हो चुके है। बागेश्वर धाम सरकार बताते है कि शेख मुबारक ने उनके मुश्किल समय में उनका काफी साथ दिया है।
चाय की दुकान पर मिले थे पहली बार
धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि उनकी शेख मुबारक से मुलाकात तब हुई थी, जब वो उम्र में छोटे थे। पहली मुलाकात चाय की एक दुकान पर हुई थी। धीरेंद्र शास्त्री के मुताबिक पहली मुलाकात में ही दोनों के बीच बहस छिड़ गई थी। लेकिन बाद दोनों अच्छे दोेस्त बन गए। धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि वो राखी लेने गए थे। उनके साथ में उनका एक और मित्र था, जिनकी शेख मुबारक से पहचान थी।
चाय की दुकान में शेख मुबारक ने धीरेंद्र शास्त्री के दोस्त से उनका हाल-पूछा था। धीरेंद्र शास्त्री के दोस्त का चेहरा देख कर शेख मुबारक ने पूछा था कि उनका चेहरा उतरा हुआ क्यों है। इस पर धीरेंद्र शास्त्र के दोस्त ने थोड़ी उलझन की बात कही। इस पर शेख मुबारक बोल पड़े कि इस दुनिया के चक्कर में मत पड़ो, यहां माता सीता को भी नहीं छोड़ते हैं।
दोनों में हुआ झगड़ा
इसके बाद दोनों में बहसबाजी शुरू हो गई और यह बहसबाजी करीब 10 मिनट तक चली। इस बात पर शेख मुबारक को गुस्सा आ गया। उन्होंने कहा कि आप कौन होते हैं माता जानकी के ऊपर पर उंगली उठाने वाले या वो उदाहरण देने वाले? दूसरे उदाहरण भी तो दे सकते हो। क्या इसलिए कि आप दूसरे धर्म के हो? क्या इसका उदाहरण आप अपने धर्म से नहीं दे सकते हो?
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शेख ने बहन की शादी के लिए दिए थे पैसे
इसी के साथ ही बागेश्वर धाम बताते है कि जब उनकी बहन की शादी थी तब शेख मुबारक ने उनकी मदद की थी। उसने उनकी बहन की शादी के लिए पैसे से उनकी मदद की थी। क्योंकि उनके पास और उनके परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे। महाराज ने बताया कि जब उनको पैसे की जरूर पड़ी तो लोगों से उन्होंने पैसे मांगे, लेकिन किसी ने नही दिए।
दो साल बाद लौटा दिए थे पैसे
तब उन्होंने अपने दोस्त शेख मुबारक को यह बात बताई तो उसने बहन की शादी में पैसे देने का भरोसा दिया। और अगले दिन उसने मुझे 20 हजार रूपये दिए। इतना ही नहीं शेख ने बहन की शादी की विदाई के लिए जरूरी सामान भी लाकर दिया। बाबा ने बताया की बहन की शादी के दो साल बाद शेख को पैसे लौटा भी दिए थे।