डेली संवाद, चंडीगढ़। Maa Kushmanda: मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda) की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। मां कुष्मांडा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है।
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कूष्मांडा देवी की पूजा करने से हर तरह के दुखों से छुटकारा मिल सकता है और धन संपदा की प्राप्ति होती है। अष्टभुजा वाली मां कूष्मांडा को लाल रंग काफी प्रिय है। इसलिए आज के लिए मां के चरणों में गुड़हल का फूल अवश्य चढ़ाएं। इसके साथ ही माता की पूजा करने के साथ दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के साथ स्तुति मंत्र और आरती जरूर पढ़ लें।
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देवी कूष्मांडा रिद्धि-सिद्धि को देने वाली मां है। मां दुर्गा का ये स्वरूप अपने भक्त को आर्थिक ऊंचाईयों पर ले जाने में निरन्तर सहयोग करने वाला है। मान्यता है कि देवी पार्वती ने ऊर्जा और प्रकाश को संतुलित करने के लिए सूर्य के केंद्र में निवास किया था। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, देवी कुष्मांडा ब्रह्मांड की निर्माता हैं और वह ऊर्जा का स्रोत हैं।
उनके स्वरूप की बात करें तो देवी कुष्मांडा को अष्टभुजा के नाम से जाना जाता है क्योंकि उनके आठ हाथ है मां के सात हाथों में धनुष, बाण, कमंडल, कमल, अमृत पूर्ण कलश, चक्र और गदा व एक हाथ में जपमाला होती है। वह अपने भक्तों को धन, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद देती हैं।
मां कुष्मांडा का मंत्र
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडा नम:
सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु में
मां कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥