महाबीर सेठ, एडिटर। डेली संवाद, जालंधर। (Jalandhar Political News) जालंधर के डिप्टी मेयर रहे हरसिमनजीत बंटी के बाद अब कांग्रेस के नेता मेजर सिंह ने भी सुशील रिंकू का साथ छोड़ दिया है। ये वही मेजर सिंह, जो कांग्रेस में खादी बार्ड के डायरेक्टर थे, ये वही मेजर सिंह हैं जिनका रिएल एस्टेट का कारोबार है, ये वही मेजर सिंह जो हरसिमरनजीत बंटी के साथ सुशील रिंकू के लिए कभी कसमें खाते रहे हैं।
कांग्रेस के दिग्गज सियासी प्लेयर राणा गुरजीत सिंह ने दोआबा में सुशील रिंकू की जिस तरह से दलित नेता के रूप में इंट्री करवाई थी, वह अब तिनका-तिनका बिखर गया। जिस दोस्ती की मेजर, बंटी और रिंकू कसमें खाते थे, वह टूट गईं। कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी पक्का नहीं होता है, अगर कुछ पक्की होती है तो वह दोस्ती होती है। लेकिन जालंधर की राजनीति ने तीन सबसे अच्छे दोस्तों को जुदा कर दिया।
चलिए आपको लेकर चलते हैं दोस्ती और राजनीति से भरी इस कहानी के फ्लैशबैक में। एक समय था, जब जालंधर कांग्रेस में सुशील रिंकू, हरसिमरनजीत सिंह बंटी और मेजर सिंह की ‘तिकड़ी’ हुआ करती थी। सुशील रिंकू और हरसिमरनजीत सिंह बंटी जब कौंसलर थे, तब इन लोगों ने मेजर सिंह और अन्य पार्षदों के साथ मिलकर विपक्ष के नेता रहे जगदीश राजा के खिलाफ होकर अपना ही एक डायनामिक ग्रुप बना लिया। इस ग्रुप में कांग्रेस के कई कौंसलर जुड़े और रिंकू और बंटी का पूरा सहयोग किया।
रिंकू-बंटी और मेजर के इस डायनामिक ग्रुप ने नगर निगम में ग्रीन बेल्ट घोटाला उजागर किया। इसमें ठेकेदार ने साढ़े नौ लाख रुपये का बिल नगर निगम को देकर खास किस्म के पौधे लगाने का दावा किया था। लेकिन पौधे नहीं लगाए गए। इस घोटाले के उजागर करने के बाद सुशील रिंकू की किस्मत चमक गई।
सुशील रिंकू को कांग्रेस ने जालंधर वेस्ट हलके से विधायक की टिकट दे दी। बंटी और मेजर ग्रुप ने पूरी शिद्दत के साथ सुशील रिंकू के इलेक्शन में काम किया, रिंकू इलेक्शन जीत गए। यहां तक सब ठीक था। नगर निगम के चुनाव में मेजर सिंह जिस जगह से चुनाव लड़ना चाहते थे, विधायक सुशील रिंकू उन्हें उस इलाके की टिकट नहीं दिलवा सके, जिससे मेजर के बीच मनमुटाव हुआ। ऐसा ही कुछ हाल सिमरनजीत सिंह बंटी का रहा।
मेजर सिंह चुनाव हार गए, जबकि सिमरनजीत सिंह बंटी चुनाव जीत गए। सिमरनजीत सिंह बंटी को इस चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तेजिंदर सिंह बिट्टू का पूरा सहयोग मिला। चुनाव जीतकर बंटी डिप्टी मेयर बन गए। इसके बाद सिमरनजीत सिंह बंटी और सुशील रिंकू में दूरियां बढ़ती गई। मेजर सिंह ने भी सुशील रिंकू से दूरियां बना ली।
इस विधानसभा चुनाव में सुशील रिंकू ने मेजर सिंह को तो किसी तरह मना लिया, लेकिन हरसिमरनजीत सिंह बंटी को नहीं मना पाए। हालांकि बंटी तब भी काम करते रहे। इस दौरान अचानक बंटी के भाई शैंटी ने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर लिया। जिससे रिंकू को शक हो गया कि बंटी और शैंटी उनका सहयोग नहीं कर रहे हैं।
विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के नेता सुशील रिंकू आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी शीतल अंगुराल से चुनाव हार गए। इसके बाद डिप्टी मेयर बंटी औऱ रिंकू में अनबन शुरू हो गई। चुनाव हारने के बाद सुशील रिंकू ने कांग्रेस हाईकमान को शिकायत भेजी थी कि डिप्टी मेयर हरसिमरनजीत सिंह बंटी और उनका पूरा ग्रुप साथ नहीं चला, जिससे चुनाव हार गए। रिंकू ने डिप्टी मेयर को पार्टी से निकालने की मांग की थी। डिप्टी मेयर बंटी ने इस्तीफा दे दिया तो, कांग्रेस पार्टी ने भी एक्शन ले लिया। इसके बाद आज मेजर सिंह भी कांग्रेस और सुशील रिंकू से जुटा हो गए।
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