डेली संवाद, नई दिल्ली। Paid Menstrual Leave: कामकाजी महिलाओं और छात्राओं को मासिक धर्म (Menstrual) के दौरान पेड लीव देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने विचार करने से इंकार कर दिया है। भारत के सीजेआई धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने शुक्रवार (24 फरवरी) को कहा कि ये मामला एक नीतिगत निर्णय के दायरे में आता है।
पीठ ने कहा, “नीतिगत विचारों के संबंध में यह उचित होगा कि याचिकाकर्ता महिला बाल और महिला विकास मंत्रालय से संपर्क करे। तदनुसार याचिका का निस्तारण किया जाता है।” संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, पीठ ने इस मामले में हस्तक्षेप करने वाले एक वकील के विचारों का पक्ष लिया कि कोई भी न्यायिक आदेश वास्तव में महिलाओं के लिए प्रतिकूल साबित हो सकता है।
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अदालत ने कहा, “हमने इसको (याचिका) नहीं सुना, क्योंकि इसमें एक समस्या है। अगर आप नियोक्ताओं (नौकरी देने वाले) को पीरियड्स लीव देने के लिए बाध्य करते हैं तो ऐसा हो सकता है कि वो महिलाओं को नौकरी देने में परहेज करें। साथ ही, यह स्पष्ट रूप से एक नीतिगत मामला है… इसलिए, हम इससे नहीं निपट रहे हैं।”
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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विशाल तिवारी ने पिछले हफ्ते याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग भी की थी। याचिका में कहा गया था कि यूनाइटेड किंगडम, चीन, वेल्स, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन और जाम्बिया जैसे देशों में पहले से ही पीरियड्स लीव दी जा रही है।
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