डेली संवाद, चंडीगढ़। Surya Dev Puja: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य देव (Surya Dev) को पूजनीय स्थान प्राप्त है। कलयुग में सूर्य देव एक ऐसे देवता हैं, जो रोजाना भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं। ऐसे में सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा करने से भक्तों के भाग्य में वृद्धि होती है। सूर्य देव को पिता, पुत्र, प्रसिद्धि, वैभव, यश, तेज, आरोग्यता, आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति का कारक माना गया है।
कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना लाभदायी माना गया है। सूर्य देव को नवग्रहों का राजा कहा गया है और पंचदेव में सूर्य देव का विशेष स्थान होता है। भगवान सूर्य अकेले ऐसे देवता हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देते हैं, इसलिए सूर्य देव की पूजा करना विशेष फलदायी होता है।
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पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब भी सूर्य देव की उपासना से कुष्ठ रोग से मुक्त हुए थे, इसलिए सूर्य देव की नियमित उपासना से समस्त कष्ट और रोग दूर होते हैं. आइये जानते हैं सूर्य की पूजा से क्या-क्या फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता माने जाते हैं। मुख्य रूप से पंच देवता में भगवान शिव, गणेश, विष्णु, दुर्गा और सूर्य शामिल हैं।
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सूर्य देव को वेदों की जगत आत्मा, जीवनदाता, परब्रह्म जैसे नामों से भी पुकारा जाता है। जिस प्रकार सभी देवताओं की पूजा-अर्चना का विशेष दिन निर्धारित है, उसी तरह भगवान सूर्य देव की पूजा के लिए रविवार का दिन होता है। शास्त्रों में सूर्य देव के विशेष मंत्र बताए गए हैं। इन मंत्रों से सूर्य देव का महत्व और उपासना से फल प्राप्ति के बारे में जाना जा सकता है।
सूर्य देव का मंत्र
आरोग्यं भास्करादिच्छ्रयमिच्छेद्भहतानाशवान।
ईश्वराज्ज्ञानमन्विच्छेन्मोक्षमिच्छेज्जनार्दनात्।।
दुर्गादिभिस्तथा रक्षां भैरवाद्यैस्तु दुर्गमम्
विद्यासारं सरस्वत्या लक्ष्म्या चैश्र्ववर्धनम्।।
पार्वत्या चैव सौभाग्यं शच्या कल्याणसंततिम्।
स्कन्दात् प्रजाभिवृद्धिं च सर्वं चैव कल्याणसंततिम्।।