डेली संवाद, जालंधर। Jalandhar Bypoll: आम आदमी पार्टी कभी भी बड़ा सियासी धमाका कर सकती है। भाजपा द्वारा राजिंदर सिंह के रूप में सियासी पत्ते खोलने के बाद जालंधर उप चुनाव के लिए AAP अपने तुरुप के पत्ते को कभी भी खोल सकती है। माना जाता है कि AAP के पास सुशील रिंकू के रूप में तुरुप का पत्ता है। फिलहाल राजनीति में कुछ स्थिर नहीं है, कभी भी कुछ हो सकता है।
ये भी पढ़ें: जालंधर में लोकसभा उपचुनाव की तारीखों का ऐलान
कांग्रेस द्वारा मरहूम नेता चौधरी संतोख सिंह की पत्नी को टिकट देने के बाद सुशील रिंकू पर AAP की पूरी नजर है। सुशील रिंकू पर पहले भाजपा की नजर थी, लेकिन रिंकू ने मना कर दिया। इसके बाद भाजपा को मजबूरन रिटार्ड डीएसपी राजिंदर सिंह को पार्टी ज्वाइन करवाना पड़ा। अगर भाजपा राजिंदर सिंह को टिकट देती है, तो सुशील रिंकू की तुलना में राजिंदर सिंह कुछ ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाएंगे।
भाजपा द्वारा राजिंदर सिंह को पार्टी ज्वाइन करवाने के बाद सुशील रिंकू पर अब AAP की पूरी तरह से नजरे गड़ गई हैं। पिछले दो दिनों से जालंधर, चंडीगढ़ समेत दिल्ली की सियासी गलियारे में सुशील रिंकू की ही चर्चा है। चर्चा यह है कि सुशील रिंकू आम आदमी पार्टी ज्वाइन करेंगे और जालंधर लोकसभा उपचुनाव लड़ेंगे।
सुशील रिंकू अगर आप में आते हैं, फिर क्या
कांग्रेस के दलित नेता और पूर्व विधायक सुशील रिंकू अगर आप में आते हैं और उपचुनाव लड़ते हैं, तो मजबूत प्रत्याशी हो सकते हैं, क्योंकि कांग्रेस ने मरहूम नेता चौधरी की पत्नी को मैदान में उतारा है। उनके साथ लोगों की साहनुभूति तो हो सकती है, लेकिन कांग्रेस का पंजाब में जिस तरह से पतन हो रहा है, उससे पब्लिक कांग्रेस प्रत्याशी पर विश्वास नहीं कर पा रही है।
दूसरा कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा सुशील रिंकू के साथ है। सुशील रिंकू आप में आकर ताकतवर प्रत्याशी हो सकते हैं। क्योंकि भाजपा जिस पूर्व डीएसपी राजिंदर सिंह को उपचुनाव में उतारने का मन बना रही है, उस राजिंदर सिंह का जालंधर में कोई बड़ा जनाधार नहीं है। ऊपर से पुलिस महकमा पब्लिक के लिए सबसे बदनाम माना जा रहा है। लोगों का मानना है कि राजिंदर सिंह की पुलिस वाली इमेज पब्लिक को पसंद नहीं आ रही है।
ये भी पढ़ें: जालंधर कैंट के दलबदलू जगबीर बराड़ ने फिर से मारी पलटी
वहीं, अकाली दल और बसपा अभी तक यही नहीं तय कर पा रही है कि जालंधर में उपचुनाव लड़ेगा कौन? सियासी गलियारे में चर्चा है कि अकाली दल अपना प्रत्याशी यहां से उतारना चाहता है, जिससे पवन टीनू का नाम चर्चा में है। अगर बसपा ने अपना प्रत्याशी उतारा तो बलविंदर कुमार के नाम पर चर्चा हो रही है। इस लिहाज से अगर सुशील रिंकू आप के प्रत्याशी बनते हैं तो अकाली के पवन टीनू कुछ खास नहीं कर सकेंगे, क्योंकि पब्लिक के बीच अकाली दल की नाराजगी अभी भी जारी है।
क्या शीतल अंगुराल मान जाएंगे?
जालंधर में सुशील रिंकू और शीतल अंगुराल के बीच सियासी दुश्मनी जगजाहिर है। सियासत में जब रिंकू विधायक थे, तब शीतल अंगुराल पर एक के बाद एक कई पर्चे हुए। शीतल अंगुराल और उनके भाई राजन अंगुराल आरोप लगाते रहे हैं कि सुशील रिंकू के दबाव में पुलिस ने उनपर झूठे पर्चे दर्ज किए।
विधानसभा चुनाव में शीतल अंगुराल ने सुशील रिंकू को हरा दिया। इसके बाद शीतल विधायक बने। अब AAP द्वारा सुशील रिंकू को उपचुनाव लड़वाने की चर्चा है। एसे में सवाल उठता है कि क्या शीतल अंगुराल मान जाएंगे? आजकल जालंधर में सबसे बड़ी चर्चा है। हालांकि AAP के शीर्ष नेता सुशील रिंकू और शीतल अंगुराल को एक मंच पर लाने के लिए सभी कोशिश कर रहे हैं।