डेली संवाद, जालंधर। PIMS: पंजाब इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइसिज (PIMS) में अस्थमा दिवस पर मेडिकल केंप का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छाती रोग विभाग में फेफड़ों का टैस्ट (स्पायरोमेटरी) मुफ्त में किया गया। कैंप का उद्घाटन रेजिडेंट डायरेक्टर अमित सिंह, कार्यकारी निदेशक डा. कंवलजीत सिंह, डायरेक्टर प्रिंसीपल डा. राजीव अरोड़ा, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. पुनीत खुराना, छाती रोग विभाग के प्रमुख डा. केलाश कपूर औऱ डा. संदीप सोनी ने किया।
इस अवसर पर रेजिडेंट डायरेक्टर अमित सिंह ने कहा कि पिम्स हमेशा से ही लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं देने में अग्रणी रहा है। पिम्स में एक छ्त्त के नीचे सारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध है। लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से पिम्स में इस प्रकार के जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि अस्थमा ला इलाज नहीं है। नियमित रूप से माहिर डाक्टर को दिखाने पर इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
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पिम्स के कार्यकारी निदेशक डा. कंवलजीत सिंह ने कहा कि लोगों की अपील पर स्पायरोमेटरी टेस्ट आठ मई 2023 दिन सोमवार तक बढ़ा दिया गया है। उन्होंने जानकारी दी कि इस साल विश्व अस्थमा दिवस का थीम है- अस्थमा केयर फॉर ऑल। थीम के मुताबिक, इस साल निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अस्थमा से संबंधित बढ़ती स्वस्थता और मृत्यु दर को कंट्रोल करना है।
अस्थमा दिवस मनाने की शुरुआत 1993 में हुई थी, जब पहली बार ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से इस दिन को मनाया। बाद में 1998 में 35 से अधिक देशों में अस्थमा दिवस कार्यक्रम का आयोजन हुआ। यह महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य दिवसों में से एक है। डायरेक्टर प्रिसीपल डा. राजीव अरोड़ा ने कहा कि पिम्स में आगामी दिनों मे महीने के प्रत्येक वीरवार को अस्थमा क्लीनिक की शुरूआत हो रही है।
इससे लोगों को काफी राहत मिलेगे। हालाकि अन्य दिनों में भी ऐसे मरीज देखे जाएंगे, लेकिन इन मरीजों के लिए यह खास दिन भी चुना गया है। छाती रोग विभाग के प्रमुख डा. केलाश कपूर औऱ डा. संदीप सोनी ने इस अवसर पर बताया की लोगों का मानना है कि अस्थमा कभी न ठीक होने वाली बिमारी या दिन ब दिन बढ़ने वाली बिमारी। उन्होंने बताया कि लेकिन ऐसा नहीं है।
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अस्थमा को इन्हेलर की मदद से काफी हद तक कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इन्हेलर से दवा सीधी फेफड़ों तक जाती है और तुरंत राहत देती है। लोगों में अकसर यह धारणा रहती है कि एक बार इन्हेलर लग गया तो सारी उम्र लेना पड़ेगा लेकिन ऐसा नहीं है। अस्थमा ठीक होने पर इन्हेलर को बंद किया जा सकता है। अस्थमा होने के मुख्य कारणों में सबसे बड़ा कारण है प्रदूषण औऱ मौसम में बदलाव।