डेली संवाद, चंडीगढ़। Sengol: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नया संसद भवन देश को समर्पित करेंगे। इस दौरान पीएम सेंगोल (Sengol) को सदन में सभापति के आसन के पास स्थापित करेंगे। यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा। 14 अगस्त 1947 की रात को एक अनूठी प्रक्रिया के तहत अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण के तौर पर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसे स्वीकार किया था। जिसे अब नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा।
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सेंगोल शब्द का अर्थ भाव और नीति पालन से जुड़ा है। भारत में चोल साम्राज्य की आठवीं शताब्दी से चली आ रही ये सभ्यतागत प्रथा है। सेंगोल को संप्रभुता के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सोने या चांदी से बना ये राजदंड शक्ति और अधिकार का प्रतीक होता है। संस्कृत शब्द ‘संकु’ से लिया गया संगोल है। इसका उपयोग राजाओं के अधिकार को दर्शाने के लिए किया जाता था।
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सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक माने जाने वाले गदे के इस आकार को तमिल में सेंगोल कहा जाता है। इसका अर्थ संपदा से जोड़ा जाता है। सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक बड़ी भूमिका निभाई है। अंग्रजों से भारत को सत्ता हस्तांतरण का यह माध्यम बना। पंडित नेहरू ने तमिलनाडु से आए सेंगोल को स्वीकार किया था। बता दें कि सेंगोल को इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा गया था और अब नए संसद भवन में ले जाया जाएगा।
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