IKGPTU: आई.के.जी पी.टी.यू ने छात्र को मरणोपरांत पीएचडी से किया सम्मानित, सुपरवाइजर ने किया फाइनल वाइवा डिफेंड

Daily Samvad
4 Min Read

डेली संवाद जालंधर IKGPTU: आई.के.गुजराल पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (आई.के.जी पी.टी.यू) ने अपने पी.एच.डी (डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी) के एक छात्र परवीन चंदर का मरणोपरांत फाइनल वाइवा करवाकर उसे मरणोपरांत डिग्री अवार्ड कर अकादमिक क्षेत्र में अनूठी पहल की है। भारतीय विश्वविद्यालयों में ऐसे नमात्र केसेस हैं, जिनमें अगर शोधकर्ता विद्यार्थी की किन्ही कारणों से मृत्यु हो और उसे मरणोपरांत डिग्री दी गई हो।

यूनिवर्सिटी ने अपने छात्र के बेहतर शोध कार्य के सम्मान में, उनके परिवार के अनुरोध पर एवं शोध का लाभ भविष्य के विद्यार्थिओं को मिल सके, को ध्यान में रखते हुए यह अनूठा फैंसला लिया। इस पहल में छात्र के एक पर्यवेक्षक (सुपरवाइजर) ने छात्र की मृत्यु के बाद उसके अंतिम कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी उठाते हुए एक्सपर्ट्स के सामने उसके फाइनल वाइवा को डिफेंड भी किया है।

ये भी पढ़ें: BJP नेता के मॉल में खुले स्पा सैंटर में चल रहा था देहव्यापार का धंधा

पंजाब के जिला बठिंडा के रहने वाले छात्र परवीन चंदर यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग विषय में पीएचडी रिसर्च स्कॉलर थे। उन्होंने अगस्त 2020 में अपनी थीसिस यूनिवर्सिटी को जमा करवाई। इस बीच कोरोना काल शुरू हो गया। दुर्भाग्य से फरवरी 2021 में छात्र परवीन चंदर का लीवर में ट्यूमर के कारण आकस्मिक निधन हो गया।

छात्र परवीन चंदर ने आठ साल तक सिविल इंजीनियरिंग के महत्वपूर्ण विषय “अनेलसिस ऑफ़ साइल इन्वेस्टिगेशन डाटा एंड डेवलपमेंट ऑफ़ साइल डिज़ाइन चार्ट्स ऑफ़ पंजाब स्टेट” यानि पंजाब राज्य के संधर्व में मिटटी की विभिन्न स्तरीय जांच, डेटा का विश्लेषण एवं मिटटी के डिजाइन चार्ट का विकास” था। पंजाब राज्य से जुडी इस शोध पर इस छात्र ने करीब आठ साल तक काम किया।

ये भी पढ़ें: नगर निगम चुनाव न लड़ने की धमकी, BJP नेता के घर फायरिंग

यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर (डॉ.) राजीव चौहान इस छात्र के पर्यवेक्षक (सुपरवाइजर) थे। छात्र की मृत्यु के बाद उन्होंने एवं परिवार ने यूनिवर्सिटी की आर एंड डी शाखा के पास अनुरोध किया कि छात्र का फाइनल वाइवा करवाया जाये एवं उन्हे डिग्री प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू की जाए। उन्होंने थीसिस को डिफेंड करने की जिम्मेदारी भी उठाई। आई.के.जी पी.टी.यू के तत्कालीन कुलपति आई.ए.एस राहुल भंडारी ने इस अनुरोध को अनुमति दी।

दिनांक 29 मई, 2023 को थीसिस की जांच एवं कार्यान्वयन के बाद परीक्षकों की मौखिक परीक्षा आयोजित की गई और छात्र को मरणोपरांत डिग्री दी गई। यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. एस.के. मिश्रा ने इसे यूनिवर्सिटी अकादमिकता में मील का पत्थर बताया, जिससे भविष्य की कई राहें नए मुकाम हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि छात्रों की सुविधा के लिए, विश्वविद्यालय अधिकतम पहल करने के लिए हमेशा तैयार रहता है। डीन आर एंड डी डॉ. हितेश शर्मा ने कहा कि शैक्षणिक कार्यों में छात्रों के ईमानदार प्रयासों को बढ़ावा देने एवं उनका शोध कार्य सुरक्षित रखने को यूनिवर्सिटी लगातार प्रयासरत है।

PM मोदी ने नए संसद भवन का किया उद्घाटन

https://youtu.be/i5hhhQj5K8E




728

728
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

news website development in jalandhar