डेली संवाद, लखनऊ। Mukhtaransari: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुधवार को कोर्ट परिसर में ही संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्या के बाद कई सवाल खड़े हुए हैं। दरअसल, माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी के गिरोह के चार सदस्य और करीबी सहयोगी पिछले पांच वर्षों में न्यायिक हिरासत में मारे गए हैं। सभी हत्याएं अजीब परिस्थितियों में हुईं हैं।
लखनऊ की एक अदालत में बुधवार को गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या कर दी गई। जरायम की दुनिया में कभी मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी। उसके एक इशारे भर की देर होती थी और उसके शार्प शूटर कत्लेआम मचा देते थे। लेकिन बदलते वक्त और हालात में उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि आसपास के राज्यों से मुख्तार अंसारी के माफिया राज का साम्राज्य खत्म करना शुरू कर दिया।
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हालात यह हो गए कि उसके सभी फायर पावर एक-एक करके खत्म होने लगे। बीते कई दशकों से मुख्तार अंसारी के साथ जुड़े रहे उसके शार्प शूटर जीवा की कोर्ट में सरेआम हत्या के बाद मुख्तार अंसारी का बचा खुचा सपोर्ट भी नेस्तनाबूद हो गया। यूपी में राजनीति और जरायम की दुनिया को मजबूती से समझने वाले एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि लगातार खत्म हो रहे अंसारी के गुर्गों से अब उसका साम्राज्य पूरी तरह से खत्म हो चुका है।
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मुख्तार अंसारी के जेल में रहने के साथ ही बाराबंकी जेल में बंद रहे जीवा ने उसके इशारे पर ना सिर्फ हत्याएं की, बल्कि धन उगाही और जरायम की दुनिया के वह सभी अपराध करता रहा। इससे पहले 15 अप्रैल को प्रयागराज के एक अस्पताल में रूटीन मेडिकल चेकअप के लिए ले जाते समय माफियाओं भाइयों अतीक अहमद और खालिद अज़ीम उर्फ अशरफ की हत्या भी पुलिस हिरासत में हुई थी।