मुंबई। Tiku Weds Sheru: कंगना रणौत ने ‘टीकू वेड्स शेरू’ के नाम से फिल्म प्रोड्यूस किया है। ‘रिवाल्वर रानी’ बनाने के बाद निर्देशक साई कबीर इस फिल्म को कंगना रणौत और इरफान खान के साथ बनाना चाह रहे थे, लेकिन तबीयत खराब होने के कारण उस समय साई कबीर फिल्म नहीं बना सके और जब तक वह ठीक होकर आते इरफान साहब दुनिया छोड़कर जा चुके थे।
जब दोबारा साई कबीर ने कंगना रणौत को इस फिल्म के लिए अप्रोच किया तो कंगना रणौत ने सोचा कि उस समय फिल्म नहीं बन पाई तो अब खुद फिल्म का निर्माण करते हैं। इरफान खान की भूमिका में नवाजुद्दीन सिद्द्की और अपनी खुद की भूमिका में अवनीत कौर का चयन करके फिल्म शुरू कर दी।
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फिल्म ‘टीकू वेड्स शेरू’ की कहानी टीकू और शेरू नाम के दो किरदारों के इर्द गिर्द घूमती है। शेरू मुंबई में जूनियर आर्टिस्ट है, लेकिन उसका एटीट्यूड किसी स्टार से कम नहीं। टीकू भोपाल की रहने वाली एक साधारण परिवार की लड़की है, जो मुंबई आकर एक्ट्रेस बनना चाहती है। लेकिन उसे समझ में नहीं आता कि भोपाल से मुंबई अपने सपने को पूरा करने के लिए कैसे जाए ?
इसी बीच शेरू के लिए टीकू के परिवार से शादी का रिश्ता आता है, लेकिन टीकू इसलिए मना कर देती है, क्योंकि वह किसी और से प्यार करती है। टीकू का बॉयफ्रेंड उसे सलाह देता है कि इस शादी से वह मुंबई पहुंच सकती है। टीकू शादी करके मुंबई आती है और शेरू के घर से भागकर अपने बॉयफ्रेंड से मिलने पहुंच जाती है, लेकिन उसे पता चलता है कि उसका बॉयफ़्रेंड पहले से ही शादीशुदा है और वह उसके बच्चे की मां बनने वाली है। अब यहां से कहानी में एक नया मोड़ आता है।
हल्की-फुल्की रोमांटिक कॉमेडी
साल 2014 में रिलीज हुई फिल्म ‘रिवाल्वर रानी’ के बाद निर्देशक साई कबीर ने ‘टीकू वेड्स शेरू’ का निर्देशन किया है। इस फिल्म की कहानी भी उन्होंने खुद ही अमित तिवारी के साथ मिलकर लिखी है। इस फिल्म के जरिए एक खास संदेश देने की कोशिश की गई है कि किस तरह से लोग चकाचौंध भरी दुनिया में अपनी होश खो बैठते हैं।
फिल्म का वन लाइन का कांसेप्ट सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है, लेकिन जब इसका विस्तार देकर पर्दे पर उतरा जाता है, तब वहां फिल्म के लेखक और निर्देशक की काबिलियत का पता चलता है। इस फिल्म की लिखावट इतनी सुस्त है कि फिल्म के बहुत सारे भावनात्मक सीन दिल को नहीं छू पाते है। यही चूक साई कबीर से फिल्म ‘रिवाल्वर रानी’ के समय हुई थी और फिल्म बड़ी मुश्किल से अपनी लागत निकाल पाई थी।
‘टीकू वेड्स शेरू’ में साईं कबीर ने जो मुद्दा उठाया है, उस मुद्दे पर बहुत ही प्यारी सी हल्की-फुल्की रोमांटिक कॉमेडी फिल्म बनाई जा सकती है, लेकिन फिल्म असल मुद्दे से कहीं और ही भटक जाती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि साई कबीर ने एक बार फिर निर्देशक के तौर पर निराश किया है।
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अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी के परफॉर्मेंस की बात करें तो हर भूमिका में अपनी जी जान लगा देते हैं। लेकिन अगर रोज घर पर पकवान बने तो उसे खाकर मन ऊब जाता है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी के परफॉर्मेंस में बस वैसी ही बात नजर आती है। एक एक्टर के तौर पर उन्हें अपने परफॉर्मेंस में वैरायटी लानी चाहिए, इस बात को नवाजुद्दीन सिद्दीकी जितनी जल्दी अमल में लाए तो करियर के लिए बेहतर साबित हो सकता है।
‘अफवाह’, ‘जोगीरा सारा रा रा’ के बाद इस साल उनकी यह तीसरी फिल्म रिलीज हुई है। और, इस फिल्म में भी उन्होंने निराश ही किया है, जबकि नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे अभिनेता से एक बेहतर परफॉर्मेंस की उम्मीद होती है, लेकिन इस फिल्म में उनके करियर की सबसे खराब परफार्मेंस है। अवनीत कौर ने अपने किरदार में पूरी तरह से ढलने की कोशिश तो की, लेकिन उसे ठीक से निभा नहीं पाई।