डेली संवाद, कलकत्ता। High Court: हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव केशव चंद्रा को निलंबित कर दिया। जबकि उपराज्यपाल डीके जोशी पर अनुपालन नहीं करने पर पांच लाख रुपए का जुर्माना (जो उन्हें अपने कोष से वहन करना होगा) लगाया गया है। श्रमिकों के लाभ को देखते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय की पोर्ट ब्लेयर पीठ ने यह आदेश दिया।
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जानकारी के मुताबिक पिछले वर्ष 19 दिसंबर को पारित पहले आदेश में द्वीप प्रशासन द्वारा नियोजित लगभग 4,000 दैनिक रेटेड मजदूरों (डीआरएम) को उच्च वेतन और डीए प्रदान किया गया था। मुख्य सचिव और उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन को अदालत ने डीआरएम के लिए 1/30वें वेतन और महंगाई भत्ते का लाभ जारी करने के अपने आदेश का पालन न करने के लिए दोषी पाया, जो 2017 से लंबित है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा और न्यायमूर्ति विभास रंजन दे की पीठ ने यह आदेश दिया है। प्रशासन में अगला वरिष्ठतम अधिकारी कार्यभार संभालेगा और कार्यों का निर्वहन करेगा। मामले की अगली सुनावई 17 अगस्त को होगी।
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मामले की जानकारी देते हुए अंडमान सार्वजनिक निर्माण विभाग मजदूर संघ की ओर से पेश हुए वकील गोपाल बिन्नू कुमार ने कहा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में लगभग 4,000 डीआरएम (जिन्हें लाभ नहीं मिला) हैं और 1986 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार डीआरएम नियमित कर्मचारियों के बराबर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं और 1/30वें वेतन और महंगाई भत्ते के वित्तीय लाभ के हकदार हैं।
हालांकि 22 सितंबर, 2017 को यहां के स्थानीय प्रशासन ने एक ज्ञापन जारी किया, जिसमें कहा गया था कि डीआरएम को एकमुश्त वेतन दिया जाएगा। इसके लिए उन्होंने चुनिंदा लाभार्थियों को चुना। प्रशासन द्वारा फिर से जारी किए जाने के बाद हमने इस मामले को अदालत में चुनौती दी थी। ज्ञापन में कहा गया है कि छूटे हुए डीआरएम को उनका वेतन 9 मई, 2023 से मिलेगा, न कि 2017 से, जैसा कि अदालत ने निर्देश दिया है।
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