डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: पुष्पा गुजराल साइंस सिटी, कपूरथला द्वारा ‘स्थानीय मीडिया के माध्यम से विज्ञान पत्रकारिता’ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस कार्यशाला का उद्देश्य उभरते पत्रकारों के कौशल को निखारना और विज्ञान संचार में व्यावसायिकता विकसित करने के लिए एक मंच प्रदान करना था।
इस कार्यशाला में 150 से अधिक पंजाब के विभिन्न कॉलेजों के शिक्षकों और छात्रों सहित युवा पत्रकारों ने भाग लिया। इस अवसर पर साइंस सिटी के निदेशक डॉ. राजेश ग्रोवर ने भारतीय संविधान का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक में वैज्ञानिक सोच के विकास का समर्थन करता है।
ये भी पढ़ें: 14,000 करोड़ की बोगस बिलिंग, STF को जालंधर के ‘पंकू’ और ‘बंटी’ की तलाश
उन्होंने कहा कि विज्ञान संचार और पत्रकारिता एक ऐसी शक्ति है जिसका उपयोग करके हम न केवल व्यक्तिगत स्तर पर ज्ञान का प्रसार कर सकते हैं, बल्कि एक ऐसे राष्ट्र की नींव भी रख सकते हैं जहां जिज्ञासा और नवीनता पनपे। एक विज्ञान पत्रकार जटिल वैज्ञानिक सफलताओं को आसान तरीके से समझा सकता है और उन्हें ऐसी भाषा में अनुवाद भी कर सकता है जिसे हर कोई समझ सके, इसके माध्यम से ही विज्ञान के चमत्कार हर किसी तक पहुंचते हैं।
उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय शिक्षा व्यवस्था के अनुकूल ऐसी वैज्ञानिक सामग्री तैयार करके हम ऐसा माहौल तैयार कर सकते हैं, जिससे विज्ञान में हमारी भागीदारी बढ़े। इससे एक प्रबुद्ध समाज का निर्माण होगा जिसका दृष्टिकोण वैज्ञानिक होगा और वह दुनिया को भी वैज्ञानिक सोच से देखेगा। इस अवसर पर तर्कशील सोसायटी ऑफ इंडिया के संस्थापक मेघराज मित्तर ने कहा कि हमारा समाज अंधविश्वास-पार्टी में फंस गया है, जिससे बहुत नुकसान हुआ है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि ये अंधविश्वास लोगों में तर्कहीन विश्वास पैदा करते हैं और ऐसे लोग हमेशा वैज्ञानिक तथ्यों पर भरोसा करने के बजाय घटनाओं को अंधविश्वास से जोड़ते हैं। मित्तर ने कहा कि 1984 में कुछ विज्ञान शिक्षकों ने स्थानीय भाषा में पुस्तकें प्रकाशित कर वैज्ञानिक सोच पैदा कर एक तर्कसंगत समाज बनाने का बीड़ा उठाया था। इन पुस्तकों का उद्देश्य अंधविश्वासों को तोड़ना और स्पष्ट तथ्यों के साथ चीजों को समझाना था।
ये भी पढ़ें: नेहा टोका फैक्ट्री का मालिक गौ मांस के कारोबारियों से हर माह लेता था 1.80 लाख रुपए
परिणामस्वरूप, पंजाब के गांवों में रहने वाले लोग वैज्ञानिक सोच के महत्व को समझने लगे। इस अवसर पर युवा पत्रकारों को संबोधित करते हुए बाबूशाही नेटवर्क के संपादक बलजीत बल्ली ने कहा कि पत्रकार हमेशा तथ्यों पर आधारित जानकारी का भूखा रहता है। उन्होंने कहा कि सही तथ्य खोजने से न केवल खुशी मिलती है बल्कि रिपोर्टिंग भी सरल और दिलचस्प हो जाती है।
उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों का उद्देश्य समाज में फैले अंधविश्वास को तोड़ना है न कि लोगों को विश्वास दिलाना। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनके पीछे छिपी वास्तविकता को उजागर करके, एक पत्रकार ज्ञान और लचीलापन फैलाने में अपना योगदान देता है।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए पंजाबी जागरण के संपादक वरिंदर सिंह वालिया ने जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण जैसे मुद्दों से संबंधित अधिक लेख और समाचार प्रकाशित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस मौके पर उन्होंने स्थानीय मीडिया में वैज्ञानिक विषयों की कम कवरेज पर चिंता व्यक्त की। इस अवसर पर उन्होंने वैज्ञानिक प्रकाशनों के लिए एक समर्पित डेस्क की भी पेशकश की।