डेली संवाद, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व अधीन बाढ़ प्रभावित गाँवों को हर संभव राहत दी जा रही है। पंजाब के जल संसाधन मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने कहा कि हाल ही में आईं बाढ़ों के दौरान विभाग पूरी तरह से डटा हुआ है। सभी अधिकारी प्रभावित लोगों को हर संभव राहत प्रदान करने के लिए दिन-रात अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। तरनतारन जिले के गाँव घुड़ाम में सतलुज नदी में आई दरार को भरते समय विभाग की कार्यकुशलता स्पष्ट रूप में दिखाई दी।
ये भी पढ़ें: 14,000 करोड़ की बोगस बिलिंग, STF को जालंधर के ‘पंकू’ और ‘बंटी’ की तलाश
जल संसाधन मंत्री ने बताया कि भाखड़ा डैम और पौंग डैम से छोड़े गए 2,84,947 क्यूसिक पानी का साझा बहाव 18.08.2023 को दोपहर 12 बजे से 19.08.2023 को सुबह 7.00 बजे तक हरीके हैडवर्कर्स से सतलुज नदी में से गुजऱा। यह तेज बहाव 19 घंटों तक जारी रहा, जिससे नदी के बाँधों पर भारी दबाव पड़ा, जो जुलाई में आईं बाढ़ों के कारण पहले ही पानी से भरे हुए थे। 18 और 19 अगस्त की रात को पानी के लगातार तेज बहाव से तरनतारन जिले में नदी के दाहिने बाँध के बड़े हिस्से में दरार पडऩी शुरू हो गई।
मीत हेयर ने आगे बताया कि स्थानीय गाँव वासियों, विभागीय स्टाफ और मशीनरी की मदद से 19 तारीख़ की रात को करीब 1000 फुट लम्बे बाँध के साथ-साथ सख़्त रोकथाम के उपाय किये गए। विभाग बाँध के ज़्यादातर हिस्से को बचाने में कामयाब रहा, परन्तु जब 19 तारीख़ की दोपहर को नदी का पानी तेज रफ़्तार से घटना शुरू हो गया, तो नदी के निकास और स्तर में आई गिरावट के कारण किनारों की मिट्टी खिसकने लग पड़ी और पहले से कमज़ोर बाँध में दरार आ गई।
ये भी पढ़ें: नेहा टोका फैक्ट्री का मालिक गौ मांस के कारोबारियों से हर माह लेता था 1.80 लाख रुपए
इसके उपरांत मरम्मत का काम तुरंत शुरू कर दिया गया। विभाग की कई टीमों ने पंजाब के अलग-अलग जिलों जैसे गुरदासपुर, होशियारपुर, लुधियाना और अमृतसर से दरार वाले स्थानों पर मिट्टी से भरीं बोरियों की सप्लाई की। नज़दीकी डिविजऩ दफ्तरों द्वारा दरार वाले स्थानों पर कुल 2.66 लाख मिट्टी से भरी बोरियाँ मुहैया करवाई गईं।
विभाग के सभी अधिकारियों द्वारा इस मुश्किल की घड़ी में मिलकर तालमेल के साथ काम किया गया। 28.08.2023 को 350 फुट लंबाई और लगभग 28 फुट की औसत गहराई वाले दरार को भरा गया। विभाग द्वारा सीमेंट की खाली बोरियाँ और स्टील की तारों समेत अपेक्षित सामग्री मुहैया करवाई गई। सामाजिक संस्थाओं ने भी इस प्रयास में बढ़-चढक़र योगदान दिया।