डेली संवाद, जालंधर। IKGPTU: यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज भी महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन शोषण का शिकार होना पड़ता है। यौन उत्पीड़न की कई परिभाषाएँ हैं और यहाँ तक कि 2013 का एक सख्त कानून भी इस पर लागू होता है। जरूरत है जागरूक होने की, शुरू से ही शोषण का विरोध करने की। यह विचार पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की नामवर महिला वकील हरलीन कौर के हैं।
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एडवोकेट हरलीन कौर आई.के. गुजराल पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (आईकेजी पीटीयू) में आयोजित एक दिवसीय जागरूकता सेमिनार को मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित कर रही थीं। सेमिनार का विषय था “कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम एवं कानून”। यह सेमिनार विशेष रूप से विश्वविद्यालय स्टाफ के लिए कुलपति डॉ. सुशील मित्तल के नेतृत्व में रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा आयोजित किया गया था।
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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रजिस्ट्रार डॉ. एसके मिश्रा रहे। उन्होंने मुख्य वक्ता महिला वकील हरलीन कौर का स्वागत किया। समारोह में विशेष निमंत्रण पर प्रसिद्ध समाज सेवी परमिंदर बेरी भी पहुंचे। वकील हरलीन कौर ने कहा कि उपरोक्त अधिनियम, 2013 देश का एक ऐतिहासिक कानून है, जो महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने में सहायक है। इस कानून ने महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए खड़े होने और कार्यस्थल में अपनी स्वायत्तता का दावा करने में सक्षम बनाया।
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उन्होंने बताया कि यौन उत्पीड़न शारीरिक संपर्क या यौन अनुग्रह की याचना या नस्लवादी टिप्पणियां करना या अश्लील साहित्य दिखाना या कोई अन्य अवांछित शारीरिक, मौखिक या गैर-मौखिक आचरण, मौखिक/लिखित, शारीरिक या दृश्य हो सकता है। रजिस्ट्रार डॉ. मिश्रा ने अतिथियों के साथ विश्वविद्यालय स्टाफ के बीच मैत्रीपूर्ण व्यवहार और सम्मानजनक जीवन के पहलुओं को साझा किया।