डेली संवाद, नई दिल्ली। Chandrayaan 3: ISRO द्वारा भेजे गए चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। जिसके बाद से चांद की कई तस्वीरें सामने आई हैं।
वहीं, अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (Lunar Reconnaissance Orbiter, LRO) ने चंद्रयान-3 लैंडिंग साइट की तस्वीर खींची है। 23 अगस्त को अपनी सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद से अंतरिक्ष यान वर्तमान में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास है। चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से लगभग 600 किलोमीटर दूर स्थित है।
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नासा ऑर्बिटर से जुड़े कैमरे ने चार दिन बाद विक्रम लैंडर का एक तिरछा दृश्य (42-डिग्री स्लू कोण) प्राप्त किया, जिसे उसने नीचे छुआ था। 18 जून 2009 को लॉन्च किया गया, नासा ऑर्बिटर ने अब तक डेटा का खजाना एकत्र किया है, जो चंद्रमा पर ज्ञान के आधार में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
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NASA ने कैप्चर की गई फोटो को शेयर करते हुए एक बयान में कहा कि वाहन के चारों ओर चमकीला प्रभामंडल रॉकेट प्लम (rocket plume interacting) के महीन दाने वाले रेजोलिथ (मिट्टी) (fine-grained regolith, Soil) के साथ संपर्क के कारण उत्पन्न हुआ।
23 अगस्त को, भारत का चंद्रयान -3 लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरा, जिससे यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश बन गया। चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद लोगों में खुशी का माहौल था, जिससे चार साल पहले चंद्रयान-2 की क्रैश लैंडिंग पर निराशा समाप्त हो गई। अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला चौथा देश बन गया है।
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चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने चंद्र सतह पर अलग-अलग कार्य किए, जिसमें सल्फर और अन्य छोटे तत्वों की उपस्थिति का पता लगाना, तापमान रिकॉर्ड करना और इसके चारों ओर की गतिविधियों को सुनना जैसे कई काम शामिल थे। इस बीच, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर “स्लीप मोड” में हैं, जिसके 22 सितंबर, 2023 के आसपास जागने की उम्मीद है।
नई जानकारी के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research organisation) ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से चंद्रयान -3 विक्रम लैंडर की एक 3-आयामी ‘एनाग्लिफ़’ छवि जारी की है। एनाग्लिफ़ स्टीरियो या मल्टी-व्यू छवियों से तीन आयामों में वस्तु या इलाके का एक दृश्य होता है।