डेली संवाद, चंडीगढ़। Panjab University: पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार और चंडीगढ़ में भाजपा (BJP) का दबदबा होने के बाद भी कांग्रेस (Congress) को बड़ी सफलता हासिल हुई है। पंजाब यूनिवर्सिटी (Panjab University) में कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI ने 6 साल बाद वापसी की है। NSUI के कमबैक ने छात्र संगठनों के साथ राजनीति हलके में सभी को चौंका दिया है।
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यह चौंकाने वाली घटना इसलिए भी है क्योंकि पिछले साल आम आदमी पार्टी (AAP) के छात्र संगठन CYSS ने जीत हासिल की थी। एक साल में ही छात्रों ने उन्हें नकार दिया। दूसरा ABVP से 6 दिन पहले आए जतिन कुमार चुनाव जीत गए। अचानक कांग्रेस ने यहां जीत कैसे हासिल की, सबके मन में यह सवाल है। इसको लेकर 4 बड़ी वजहें सामने आई हैं।
NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष कन्हैया कुमार चंडीगढ़ आए। यहां पहुंचने पर पता चला कि संगठन में तो कई गुट बने हैं। हर गुट प्रधान पद पर अपना उम्मीदवार चाहता है। ऐसे में किसी भी एक गुट को उम्मीदवारी दी तो बाकी नाराज होंगे। सपोर्ट नहीं करेंगे और हार के चांसेज बढ़ जाएंगे। इसलिए गुटबाजी को बेअसर करने के लिए ABVP से जतिन कुमार को NSUI जॉइन कराई। फिर उन्हें उम्मीदवार बनाया। ऐसे में हर गुट ने उनका सपोर्ट किया।
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NSUI के प्रधान पद के उम्मीदवार भले ही जितेंद्र कुमार रहे हों, लेकिन फोकस लड़कियों पर था। इसके लिए केरल यूनिवर्सिटी में लड़कियों को मेंस्ट्रुअल लीव का मुद्दा रखा गया। बाकी संगठन इसमें चूक गए, लेकिन कांग्रेस को इस मुद्दे पर छात्राओं का सपोर्ट मिल गया। कांग्रेस ने इस मुद्दे के जरिए छात्राओं के बीच में अपना जनाधार मजबूत कर लिया।
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पंजाब यूनिवर्सिटी के चुनाव में प्रधान पद के लिए किसी भी बड़े संगठन की तरफ से किसी भी लड़की को उम्मीदवार नहीं बनाया गया। सिर्फ PSU ललकार की तरफ से मनिका छाबड़ा उम्मीदवार थी, लेकिन बड़ी पार्टियों के छात्र संगठनों ने छात्रा पर भरोसा नहीं जताया। इसका फायदा भी NSUI को मिला। उनके मुद्दे लड़कियों से जुड़े हुए थे।
तो इसलिए हार गई CYSS
NSUI ने अपनी रणनीति के तहत पहले से ही CYSS को निशाना बना लिया था। उन्होंने इस पूरे चुनाव को छात्र नेता वर्सेस राजनेता के तौर पर प्रस्तुत किया था। इसमें उन्हें पंजाब यूनिवर्सिटी के सभी छात्र संगठनों का साथ मिल गया था। आम आदमी पार्टी के नेता ही चुनाव प्रचार के लिए आ रहे थे। जब उन्होंने उनके आने पर पाबंदी लगा दी तो CYSS कमजोर पड़ गई थी। इसका फायदा NSUI को मिला।
छात्र संघ चुनाव में मणिपुर का मुद्दा भी जोरों पर रहा। पंजाब यूनिवर्सिटी के सभी छात्र संघ इसके विरोध में थे, लेकिन ABVP की तरफ से इसके खिलाफ कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया गया। NSUI की तरफ से प्रधान पद जीतने वाले जतिन कुमार ने भी कहा कि वह इस पर विरोध प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन हाईकमान की तरफ से उन्हें इसकी परमिशन नहीं मिली। इसी कारण उन्होंने ABVP को छोड़ा था।