डेली संवाद, नई दिल्ली। Why Headache: लाइफस्टाइल बदल रही है और उसका असर हमारी सेहत पर भी पड़ रहा है। ज्यादा घंटे काम करना, एक साथ कई चीजों को मैनेज करना, समय पर न खाना, ये कुछ ऐसी आदतें हैं, जिसकी वजह से लोगों में तनाव बढ़ रहा है, नतीजा सिरदर्द की समस्याएं बढ़ रही हैं। आंकडों के अनुसार महामारी के बाद 26-35 वर्ष के आयु वर्ग में 12% तक तनाव का स्तर बढ़ा है और 36-45 वर्ष के आयु वर्ग में 13% की बढ़त देखी गई।
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डेडलाइन और घर को संभालने के बीच यह तनाव और भी बढ़ा है, जिसमें से 26-35 वर्ष के आयु वर्ग में 87% लोग तनाव में रहते हैं। इसमें महिलाओं (87%) ने पुरुषों (84%) की तुलना में ज्यादा तनाव को अनुभव किया है। और 90% कामकाजी महिलाओं ने कहा है कि इस तनाव को सबसे पहले सरदर्द के तौर पर महसूस करती हैं।
एक और रोचक तथ्य की बात करें तो 45% लोगों ने सिरदर्द को तनाव का मुख्य लक्षण बताया, इसके बाद थकान (17%) और नींद की कमी (15%) को लक्षण बताया गया।
ये आंकड़े बताते हैं कि महिला हो या पुरुष हर कोई सिरदर्द और तनाव का सामना कर रहा है। हैरानी की बात यह है कि लोगों को इसके बारे में जानकारी तो है, फिर भी वो इसे नजरअंदाज करते हैं, जिसकी वजह से समस्या और गंभीर होती चली जाती है।
सिरदर्द और तनाव को हम साधारण समझते हैं, लेकिन यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर असर करता है, क्या हैं इसके उपचार? इस विषय पर चर्चा के लिए हाल ही में Saridon ने जागरण न्यू मीडिया के साथ मिलकर ‘न्यू Saridon पैनल डिस्कशन’ नाम से वेबिनार का आयोजन किया, जहां विभिन्न आंकड़ों के साथ तनाव और सिरदर्द पर विस्तार से बात की गई।
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इस चर्चा में स्वास्थ्य से जुड़े कई विशेषज्ञ मौजूद थे। इसमें डॉ. अनुराग गुप्ता (सीनियर न्यूरोसाइंस और मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जन फोर्टिस हॉस्पिटल), अदिति गोवित्रिकर (मेडिकल डॉक्टर, मनोवैज्ञानिक और अभिनेत्री), हेल्थ एडिटर मेघा ममगैन (एवीपी और बिजनेस हेड, हेल्थ-लाइफस्टाइल, जागरण न्यू मीडिया), सेरिडॉन बनाने वाली कंपनी बायर के प्रतिनिधि संदीप वर्मा (कंट्री हेड, बायर कंज्यूमर हेल्थकेयर डिवीजन) और मॉडरेटर के रूप में चेतना कौशिक शामिल थीं।
काम का दबाव और संबंधों में अस्थिरता, तनाव और सिरदर्द की मुख्य वजह है। ‘न्यू Saridon पैनल डिस्कशन’ में इसी विषय पर विस्तार से चर्चा की गई। इसमें विशेषज्ञों ने तनाव और सिरदर्द पर कई दिलचस्प तथ्य प्रदान किए। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि इसका समाधान क्या हो सकता है।
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चर्चा में सेल्फ केयर सॉल्यूशन पर भी बात की गई, जो बताता है कि लोगों को वो सभी काम करना चाहिए जो उन्हें खुश रखे, चाहे वह शौक हो या फिर कोई गेम। इस पूरी चर्चा को आयोजित करने का एक ही मकसद था, वो यह कि जब दर्द है तो #दर्दक्योंसहना। उपचार उपलब्ध है बस आपको उसपर ध्यान देने की जरूरत है।