Punjab News: मिलिए फूल वाले दयालु संत से, भाजपा के कालिया कौंसलर से कैसे बने संत? क्या है फूल बांटने की कहानी

Daily Samvad
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डेली संवाद, फिरोजपुर (सुनील प्रभाकर)। Punjab News: धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले तो बहुत देखे होंगे, लेकिन आज हम एक ऐसे बुजुर्ग वरिष्ठ भाजपा नेता से मिलवाने जा रहे हैं, जो सुबह उठकर ही धर्म के कार्यों में लग जाते हैं और दूसरों को भी धर्म के कार्य में चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

हम बात कर रहे हैं फिरोजपुर शहर छावनी को जोड़ने वाली बस्ती टैंका वाली के 6 बार पार्षद रहे दयाल कालिया की। दयाल कालिया दो बार आजाद और चार बार भाजपा की टिकट से पार्षद रह चुके हैं । सुबह 5 उठकर 8 बजे तक वह जो काम करते हैं, उसे जानकर आप भी उनकी जय जयकार कर उठेंगे।

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दयाल कालिया सुबह उठते ही हाथों में सैकड़ों फूल लिफ़ाफ़े मे लेकर बाजार में निकल पड़ते हैं और बाजार के अपने जान पहचान के दुकानदारों को थोड़े-थोड़े फूल देते जाते हैं और हाथ जोड़कर कहते हैं कि मंदिर में जाएं और यह फूल भगवान को अर्पित करें। दयाल कालिया पिछले कई सालों से यह कार्य कर रहे हैं।

अब तक वो कई क्विंटल फुल लोगों में बाँट चुके हैं भगवान को अर्पित करने के लिए। कई बार तो वह मंदिर वाली गली में खड़े हो जाते हैं और मंदिर में जाने वाले लोगों को वह अपने लिफाफे में से फूल निकल कर देते हैं कि खाली हाथ मत जाइए भगवान के घर में बहुत कुछ मांगने जा रहे हैं तो कुछ फूल भी लेते जाइए और भगवान के चरणों में अर्पित करते आइए। भगवान तो भोले हैं आपकी मुराद हर मुराद पूरी करेंगे।

फिरोजपुर की सड़कों पर लोगों को फूल बांटते भाजपा के वरिष्ठ नेता दयाल कालिया

वरिष्ठ भाजपाई नेता दयाल कालिया ने बाबा बालक नाथ के मंदिर में एक ठंडे पानी की मशीन दान की है और इलाके की जरूरतमंद महिलाओं को सिलाई मशीन भी बांटी है ताकि महिलाएं कामकाज कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो सके। उनका यह कार्य देखकर सभी उन्हें संत स्वरूप कहते हैं। उनका नाम संत स्वरूप दयाल कालिया पड़ गया। भाजपा के वरिष्ठ नेता दयाल कालिया फिरोजपुर नगर कौंसिल के दो बार वरिष्ठ उप प्रधान भी रह चुके हैं।

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अगर ऐसी ही राजनीति बाकी लोग भी करने लगे तो क्या बात। दयाल कालिया कहते हैं कि धर्म के नाम पर लड़ना नहीं चाहिए, धर्म तो दिल में बसाना चाहिए अगर आपके धर्म दिल में धर्म बसता है तो आपको देखकर दूसरों के दिल में भी धर्म बसेगा। दयाल कालिया कहते हैं वह कुछ खास नहीं कर रहे हैं, भगवान भोले शंकर, कृष्ण कन्हैया, श्री राम जी ही उनसे यह सब करवाते हैं और वह करते हैं वह तो बस एक माध्यम है।

यह कहकर हंसते हुए फोटो तक भी नहीं खिंचवाने देते। बड़ी मुश्किल से उनकी यह फोटो खींची जब वह मोटरसाइकिल पर जा रहे मंदिर की गली में रहने वाले एक सज्जन के बेटे को उनके हाथों में फूल दे रहे थे। वह कह रहे थे बेटा काम से थोड़ी फुर्सत मिले तो मंदिर में जाकर यह फूल भगवान के चरणों में अर्पित करना। भगवान तो भोले हैं खुश हो गए तो जो चाहोगे वह मुराद पूरी कर देंगे।

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